पय के पर्यायवाची शब्द
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अंध
जिसे दिखाई न देता हो, नेत्रहीन , बिना आँख का , अंधा , जिसकी आँखों में ज्योति न हो , जिसमें देखने की शक्ति न हो
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अंब
बड़ी, बूढ़ी, पूज्य या आदरणीय महिला के लिए आदरपूर्वक संबोधन, अंबा, माता
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अंबु
आम, रसाल
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अंभ
जल, पानी
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अधोगति
पतन
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अभ्रपुष्प
बेंत, बेंत का डंठल जिसका उपयोग छड़ी के रूप में किया जाता है
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अमृत
अमृत, दारमा की भोटिया जाति के विश्वास के अनुसार सूत्रधार निर्देशन करने वाला व्यक्ति
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अर्ण
वर्ण , अक्षर
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अवदोह
दूध, दुग्ध
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आप
अपने ऊपर घटी या झेली घटना, अनुभूत घटना या बात
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इरा
गुस्सा, अभिमान, स्वाभिमान
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ऊधस्य
दूध (हिं॰)
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ऋत
उंछवृत्ति
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ओज
कृपणता, किफायतदारी, कार्पण्य, जैसे, —वह बहुत ओज से खर्च करता है
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क
नागरी वर्णमाला का प्रथम व्यंजन
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कं
जल ; अग्नि ; मस्तक
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कंबल
कंबल (भेड़ की ऊन का बना मोटा कपड़ा)
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कबंध
पीपा , कंडल
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कमल
कमल, जलज।
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कर्बुर
सोना, स्वर्ण
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कश
चाबुक
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कांड
बाँस, नरकट या ईख आदि का वह अंश जो दो गाँठो के बीच में हो, पोर, गाँडा, गेंडा
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कीलाल
अमृत , जल
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कुलीन
अच्छे वंश का, खानदानी
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कुलीनक
उच्च वंश में उत्पन्न, कुलीन
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कुलीनस
पानी, जल, वारी
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कुश
कड़ी और नुकीली पत्तियों वाली एक प्रसिद्ध घास जिसकी पत्तियाँ हिंदुओं की पूजा, यज्ञ आदि में काम आती हैं; दर्भ, काँस की तरह की एक पवित्र और प्रसिद्ध घास , डाभ , दर्भ
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कृत्स्न
संपूर्ण, सब, पूरा
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क्षत्र
बल
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क्षर
जिसका क्षरण होता हो या होने को हो, नाशवान्, नश्वर, नष्ट होनेवाला
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क्षीर
दूध
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क्षोद
चूर्ण, बुकनी, सफूफ
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गो
गाय।
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गोरस
दही और मट्ठा
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घन
घना, पास सटी हुई वस्तुए जैसे पेड़-पौधे तथा यारी-दोस्ती
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घनरस
जल, पानी
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घृत
आर्द्र किया हुआ, तर किया या सींचा हुआ, सिंचित
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जड़
कन्द जिसमें चेतना न हो, चेष्टाहीन, स्तब्ध, वृक्ष की जड़, मूल रूप बंकनाल, वह नाल जिसमें बच्चे जन्म लेते हैं।
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जल
पानी
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जामि
जुड़वा बहन, बेटी, कन्या, पतोहू, कुल स्त्री
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जीवन
वृत्ति जीविका, प्राणप्या परमप्रिय, प्राणा धारण, जिन्दगी
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तामर
नदी, जलाशय, वर्षा आदि से मिलने वाला वह द्रव पदार्थ जो पीने, नहाने, खेत आदि सींचने के काम आता है, पानी
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तोय
जल, पानी, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
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दुग्ध
जो दुहा गया हो, दुहा हुआ
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दूध
वह पेय पदार्थ जो हर मादा को बच्चे को जन्म देने के बाद स्तन से तरल सफेद द्रव निकलता है जो शिशु का आहार होता है (सं. पु.) दुग्ध, दूध के समान वह तरल द्रव्य जो अनेक पौधों के डंठल तथा पत्तियों में से निकलता है
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दोहज
दूध
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नार
नारीपु. शेर, नाला।
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नारा
डोरी
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नीर
पानी, जल
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पाथ
थापना, कुम्हार का कच्चा घड़ा को पीटने की क्रिया
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