प्रकृति के पर्यायवाची शब्द
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अधर
नीचे का ओठ
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अध्याय
ग्रंथ, पुस्तक आदि का खंड या विभाग जिसमें किसी विषय या उसके विशेष अंग का विवेचन हो, ग्रंथविभाग
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अपथ
वह मार्ग जो चलने योग्य न हो, बीहड़ राह, विकट मार्ग
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अपवर्ग
मोक्ष, निर्वाण, मुक्ति, जन्म मरण के बंधन के छुटकारा पाना
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अभ्यास
समीप, निकट
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अमरपद
जीव के जन्म और मरण के बंधन से छूट जाने की अवस्था, मोक्ष, मुक्ति
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अस्तित्व
सत्ता, विद्यमानता
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आकृति
बनावट, गठन, ढाँचा
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आचरण
कोई कार्य आरंभ करके आगे बढ़ाना, अनुष्ठान
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आचार
सब्जी या फल को सुखाकर धूप में पकाते हुए तेल मशाला मिलाकर बनाया गया व्यंजन, नियम, आचरण, अनुष्ठान
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आत्मतत्व
आत्मा या परमात्मा का तत्व, आत्मा का यथार्थ स्वरूप
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आदत
स्वभाव, प्रकृति
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ईमान
ईमानदारी, छलकपटन करने की प्रवृत्ति, अच्छी नीयत
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उत्फुल्ल
पूरा-पूरा फुलाएल, प्रसन्न (मुह)
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उत्सर्ग
त्याग , छोड़ना
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उद्गम
उत्पत्ति स्थान ; स्थान जहाँ से नदी निकलती है
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उपक्रम
पोषित प्रतिष्ठान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, उद्यम
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उपनिषद्
वेद की शाखाओं के ब्राह्मणों के वे अंतिम भाग जिनमें ब्रह्मविद्या अर्थात् आत्मा, परमात्मा आदि का निरूपण रहता है, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण श्रुति धर्म ग्रंथ जिनमें ब्रह्म और आत्मा आदि के स्वभाव और संबंध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन है
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उपस्थ
शरीर का मध्यभाग
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ऊर्जा
शक्ति, बल
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ऋत
उंछवृत्ति
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औलाद
संतान, पुत्र-पुत्री; वंश परम्परा, किसी के बाद की पीढ़ी
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कर्तव्य
करने योग्य कार्य , करणीय कर्म , उचित कर्म , धर्म , फर्ज , जैसे,—बड़ों की सेवा करना छोटों का कर्तव्य है
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कलत्र
स्त्री, भार्या , पत्नी
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कांड
बाँस, नरकट या ईख आदि का वह अंश जो दो गाँठो के बीच में हो, पोर, गाँडा, गेंडा
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क़ुदरत
वह मूल शक्ति जिसने अनेक रूपात्मक जगत का विकास किया है और जिसका रूप दृष्यों में दिखाई देता है, प्रकृति
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कृत्य
वह जो कुछ किया जाए, काम, कार्य, व्यवसाय
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कैवल्य
निर्लिप्त या विशुद्ध होने का भाव, अनासक्ति भाव, निर्लिप्तता, शुद्धता
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ख़ासियत
स्वभाव, प्रकृति, आदत
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गंगा
भारतवर्ष की एक प्रधान नदी जो हिमालय से निकलकर 1560 मील पूर्व को बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है, जाह्नवी, भागीरथी
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गति
चाल, वेग, दुगति, हालत
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गमन
चालि, गति
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गुण
किसी वस्तु में पाई जाने वाली वह बात जिसके द्वारा वह दूसरी वस्तु से पहचानी जाए, वह भाव जो किसी वस्तु के साथ लगा हुआ हो, धर्म, सिफ़त
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गुणवत्ता
गुण-स्तर
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गुह्य
एक तान्त्रिक सम्प्रदाय
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चरित्र
चालि, आचरण, चर्या, वैशिष्ट्य
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चारित्र्य
चरित्र
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चेतना
होश।
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चैतन्य
चित् स्वरूप, आत्मा ज्ञान
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जननेंद्रिय
वे जननांग जो बाहर से दिखाई देते हैं
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जन्मवर्त्म
योनि, भग
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जरायु
वह झिल्ली जिसमें बच्चा बँधा हुआ उत्पन्न होता है, आँवल, खेढ़ी, उल्व
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जीव
प्राण, प्राणी।
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जीव
जीवित रहना
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जीवन
वृत्ति जीविका, प्राणप्या परमप्रिय, प्राणा धारण, जिन्दगी
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जीवनी
जीवनक वृत्तान्त
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टेव
घात लगाना, निशाना,अभ्यास, बान
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ढव
ढंग युक्ति रीति
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दर्शन
वह बोध जो दृष्टि के द्वार हो, चाक्षुष ज्ञान, देखादेखी, साक्षात्कार, अवलोकन, क्रि॰ प्र॰—करना, —होना
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दीन
धर्म, (दीन दुनिया में प्रयुक्त) कहा.दीन
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