प्रशस्त के पर्यायवाची शब्द
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अद्वितीय
जिसके समान कोई दूसरा न हो, जिसके जोड़ या बराबरी का कोई न हो, बेजोड़, अनुपम
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अनवर
बिछुवा (चाँदी का छल्ला) पैर के अंगूठे की अंगूठी
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अनुत्तम
जिससे उत्तम दूसरा न हो, सर्वोत्तम
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अनुपम
जिसकी किसी से उपमा न दी जा सकती हो, जिसकी बराबरी का और कोई न हो, उपमारहित, अनोखा, बेनज़ीर, उम्दा, बहुत अच्छा या बढ़िया, जिसकी कोई उपमा न हो, बेजोड़, अनूठा, अतुलनीय
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आचार्य
उपनयन के समय गायत्री मंत्र का उपदेश करने वाला, गुरु
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उत्तम
विष्णु
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उन्नत
ऊँचा, ऊपर उठा हुआ
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उपाध्याय
वेद वेदांग का पढ़ानेवाला, शास्त्रज्ञ विद्वान
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कल्याण
मंगल , शुभ , भलाई
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कुशल
(व्यक्ति) जिसने कोई काम अच्छी तरह करने की शिक्षा पाई हो, प्रशिक्षित तथा योग्य चतुर, दक्ष, प्रवीण, चतुर, होशियार
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कृत्रिम
जो असली न हो, नक़ली, बनावटी, जाली
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क्षेम
किसी प्रकार की विपत्ति, संकट, हानि आदि से किसी की रक्षा करने का काम, प्राप्त वस्तु की रक्षा, सुरक्षा
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ख्यात
दे० -खेदा, पीछा करने का कार्य, ख्यात पड़ण-पीछे पड़ना
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गुरु
अध्यापक, आचार्य, धर्मगुरु
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ज्येष्ठ
जेठ
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नामवर
नामी
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पक्व
पका या पकाया हुआ
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पुष्कल
चार ग्रास की भिक्षा
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प्रग्रह
ग्रहण करने या पकड़ने का भाव या ढंग, धारण
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प्रचुर
वह जो चोरी करे, चोर
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प्रधान
ईमानदार, सच्चरित्र
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प्रमुख
संमुख, सामने, आगे
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प्रवेक
उत्तम, प्रधान
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प्रशंसनीय
सराहने योग्य, स्तुत्य
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प्रसिद्ध
भूषित, अलंकृत
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प्राग्र
चरम बिंदु
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प्रेष्ठ
पति, प्रियतम
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बड़ा
एक पकवान जो मसाला मिली हुई उर्द की पीठी की गोल चक्राकार टिकियों को घी या तेल में तलकर बनता है
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बृहत्
पैघ, विशाल
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भद्र
क्षेम कुशल
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भव्य
सुंदर, श्रेष्ठ, शानदार
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भारी
बड़ा, वज़नी, संभ्रांत (व्यक्ति)
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भूषित
अलंकृत , सज्जित
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मंगल
कल्याण, शुभ, सौर मंडल का एक ग्रह मंगलवार
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महत्
प्रकृति का पहला विकार महत्तत्व
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महत्त्वपूर्ण
important, significant, urgent
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महान
विशाल , उच्च , बहुत बड़ा
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यशस्वी
जसबाला, नामी
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यशी
जसबाला, नामी
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रिष्ट
गुरुतम , अति भारी ; जो शीघ्र न पचे
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वड़ा
पकौड़ा, टिकिया
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वर
किसी देवी-देवता से मांगा हुआ मनोरथ, फल या सिद्धी, दुल्हा
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वरेण्य
प्रधान, मुख्य
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विपुल
प्रचुर, पर्याप्त
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विशाल
बहुत पैघ
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विस्तीर्ण
जो दूर तक फैला हुआ हो, विस्तृत
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विस्तृत
जो अधिक दूर एक फैला हुआ हो, लंबा- चौड़ा, विस्तारवाला, जेसे, वहाँ आप लोगों के लिये बहुत विस्तृत स्थान है
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वृहत्
आकार-प्रकार, मान-परिमाण आदि में जो बहुत बड़ा हो
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वृहस्पति
देवताओं के गुरु, विशेष दे॰ 'बृहस्पति', (१, और २)
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व्यापक
जो बहुत दूर तक व्याप्त हो, चारों ओर फैला हुआ, छाया हुआ
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