रसाल के पर्यायवाची शब्द
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अपूप
गेहुँ के आटे की लिट्टी जिसे मिट्टी के कपाल या कसोरे मे पका कर यज्ञ मे देवताओं के निमित्त हवन करते थे
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अमृत
वह वस्तु जिसके पीने से जीव अमर हो जाता है, पुराणनुसार समुद्रमंथन से निकले १४ रन्तों में से एक, सुधा, पीयूष, निर्जर
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अम्लफल
इमली
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आम
खाए हुए अन्न का कच्चा, न पचा हुआ मल जो सफे़द और लसीला होता है
- आम्र
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इक्षु
'इच्छुक'
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इक्षुर
गोखरू
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ईख
शर जाति का एक प्रकार जिसके डंठल में मीठा रस भरा रहता हैं । इसके रस से गुड़ चीनी और मिश्री अदि बनती हैं । ड़ंचल में ६-६ या ७-७ अंगुर पर गाँठें होता हैं और सिरे पर बहुत लंबी लंबी पत्तयाँ होती हैं, जिन्हें गेंड़ा कहते हैं । विशेष— भारतवर्ष में इसकी बुआई चैत बैसाख में होती हैं । कार्तिक तक यह पक जाती हैं, अर्थात् इसका रस मीटा हो जाता है और कटने लगती है । ड़ंठलों को कोल्हू में पेरकर रस निकालते हैं । रस को छानकर कड़ाहे में औटाते हैं । जब रस पककर सूख जाता है तब गुड़ कहलाता है । यदि राब बनाना हुआ तो औटाते समय कड़ाहे में रेंड़ी की गूदी का पुट देते हैं । जिससे रस फट जाता है और ठंढा होने पर उसमें कलमें वा रवे पड़ जाते हैं । इसी राब से जूसी या चोटा दूर करके खाँड़ बनाते हैं । खाँड़ और गुड़ गला कर चीनी बनाते हैं । ईख के तीन प्रधान भेद माने गए हैं । ऊख, गन्ना और पौंढ़ा । (क) ऊख— इसका ड़ंठल पतला, छोटा और कड़ा होता है । इसका कड़ा छिलका कुछ हरापन लिये हुए पीला होता है और जल्दी छाला नहीं जा सकता । इसकी पत्तियाँ पतली, छोटी, नरम और गहरे हरे रंग की होती है । इसकी गाँटों में उतनी जटाएँ नहीं होतीं, केवल नीचे दो तीन गाँठों तक होती हैं । इसकी आँखें, जिनसे पत्तियाँ निकलती हैं, दबी हुई होती हैं । इसके प्रधान भेद धौल, मतना, कुसवार, लखड़ा, सरौती आदि हैं । गुड़ चीनी आदि बनाने के लिये अधिकतर इसी की खेती होती है । (ख) गन्ना- यह ऊख से मोटा और लंबा होता है । इसकी पत्तियाँ ऊख से कुछ अधिक लंबी और चौड़ी होती हैं । इसकी छिलका कड़ा होता है, पर छीलने से जल्दी उतर जाता है , इसकी गाँठों में जटाएँ अधिक होती हैं , इसके कई भेद हैं; जैसे, — अगौल, दिकचन, पंसाही, काला गन्ना, केतारा, बड़ौखा, तंक, गोड़ार , इससे जो चीनी बनती हैं , उसका रंग साफ नहीं होता , (ग) पोंढ़ा— यह विदेशी है , चीन, मारिशस (मिरच का टापू), सिंगापुर इत्यादि से इसकी भिन्न भिन्न जातियाँ आई हैं इसका ड़ंठल मोटा और गूदा नरम होता हैं , छिलका कड़ा होता है और छीलने से बहुत जल्दी उतर जाता है , यह यहाँ अधिकतर रस चूसने के काम में आता है , इसके मुख्य भेद थून, काल गन्ना और पौंठा हैं , राजनिघंटु में ईख के इतने भेद लिखे हैं- पौंड्रक (पौंढ़ा) भीरुक, वंशक (बड़ौखा), शतपोरक (सरौती), कांतार (केतारा), तापसेक्षु, काष्टेक्षु (लखड़ा), सूचिरपत्रक, नैपाल, दीर्घपत्र, नीलपोर (काल गेड़ा), कोशकृत (कुशवार या कुसियार)
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ऊख
घास या सरकंडे की प्रजाति का एक पौधा जिसके रस से गुड़ और चीनी बनाई जाती है, गन्ना, देखिए : 'ईख'
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कर्कोटक
एक नाग
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क्षीरी
दूध देनेवाला, दूधयुक्त जिससे दूध निकले
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कामशर
कामदेव का बाण
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कामांग
आम
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कोशकार
तलवार, कटार आदि के लिए म्यान बनाने वाला
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कोषी
काशी
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गन्ना
सरकंडे की जाति का एक प्रसिद्ध गाँठदार लंबा पौधा जिसके मीठे रस से गुड़, चीनी आदि बनाई जाती है, ईख, ऊख
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गेहूँ
रबी की एक फ़सल जो अगहन में बोई जाती और चैत में काटी जाती है
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गोधूम
गेहूँ
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गोहूँ
गेहूँ
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चूत
स्त्रियों की भगेंद्रेय, योनि, भग, स्त्री की जनन इंद्रिय
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दाऊदी
एक प्रकार का गेहूँ जिसका छिलका बहुत सफेद और नरम होता है
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दीर्घच्छद
जिसके लंबे लंबे पत्ते हों
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नूत
'नुत'
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पिकप्रिय
गर्म देशों में पाया जाने वाला एक बड़ा, सदाबहार पेड़ जिसके रसीले फल खाए या चूसे जाते हैं
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पौंडा
एक प्रकार का गन्ना
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भूरिरस
ईख, ऊख
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मधुयष्टि
एक बहुवर्षीय झाड़ी जो डेढ़ से दो मीटर ऊँची होती है और जिसकी जड़ औषध के रूप में प्रयुक्त होती है, जेठी मधु, मुलेठी
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मधूली
आम का पेड़
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मृषालक
आम का पेड़
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माकंद
आम का वृक्ष
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माकन्द
गर्म देशों में पाया जाने वाला एक बड़ा, सदाबहार पेड़ जिसके रसीले फल खाए या चूसे जाते हैं
- यवन
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राजफल
पटोल, परवल
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वसंतदूत
आम का वृक्ष
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शरेष्ट
आम, आम्र
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सुमदन
आम का पेड़, आम्रवृक्ष
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सुमना
चमेली, जातीपुष्प
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सहकार
सुगंधित पदार्थ
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सहयोग
किसी के कार्य आदि में इस प्रकार योग देने की क्रिया कि वह काम जल्दी या ठीक तरह से हो, एक साथ मिलकर काम करने का भाव, सहयोगी होने का भाव
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साथ
मिलकर या संग रहने का भाव, संगत, सहचार
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सौरभ
सुरभि का भाव या धर्म, सुगंध, ख़ुशबू, महक
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