संकोच के पर्यायवाची शब्द
-
अनिर्णय
निर्णय का न होना, निर्णयहीनता, अनिश्चय, असमंजस, दुविधा
-
असमंजस
दुविधा, पशोपेश, आगा-पीछा, फेरफार, द्वंद्व, अनिश्चय, हाँ या ना की स्थिति, संदेहात्मक स्थिति
-
कानि
लोकलज्जा, मर्यादा का ध्यान
-
झिझक
झझक
-
झेंप
लज्जा
-
तरफ़दारी
पक्षपात करना, अंध समर्थन करना, किसी का पक्ष गहना
-
त्रपा
लज्जित, शरमिदा
-
त्रास
काटना, छाटना
-
दुविधा
सफेद, दूध के रंग का; जिसमें दूध मिला हो; मटमैले रंग का
-
पक्षपात
बिना उचित अनुचित के विचार के किसी के अनुकूल प्रवृत्ति या स्थिति, तरफदारी
-
पशोपेश
आगा पीछे, सोच विचार, दुबिधा, अंदेश
-
भय
आपत्ति, डर।
-
भीरुता
डरपोकपन, कायरता, भयशीलता, बुज़दिली
-
मंदाक्ष
लज्जा, शर्म
-
मुरव्वत
उदारता; भलमनसत; सज्जनता
-
मुलाहज़ा
किसी काम, बात या व्यवहार को बारीक़ी से जाँचने की क्रिया, निरीक्षण; देखभाल
-
मुलाहज़ा
किसी काम, बात या व्यवहार को बारीक़ी से जाँचने की क्रिया, निरीक्षण, देखभाल, मुआयना
-
लज्जा
कुकर्म कएला पर अपनामे हीनताक अनुभव
-
लज्या
लज्जा, लाज
-
लाज
लज्जा, इज्जत, शर्म पत, प्रतिष्ठ; 'लाज धरण' - 'लाज शरम'
-
लिहाज़
व्यवहार या बरताव से किसी बात का ध्यान , कोई काम करते हुए उसके संबंध में किसी बात का ख्याल, क्रि॰ प्र॰—करना , —रखना
-
विनय
व्यवहार में दीनता या अधीनता का भाव, नम्रता, प्रणति
-
विनयशीलता
विनम्र होने का भाव
-
व्रीड़ा
वह मनोभाव जो स्वभावतः अथवा संकोच, दोष आदि के कारण दूसरों के सामने सिर उठाने या बोलने नहीं देता है, लज्जा , शरम, लाज
-
शर्म
लज्जा, हया, गै़रत
-
शर्मिंदगी
वह मनोभाव जो स्वभावतः अथवा संकोच, दोष आदि के कारण दूसरों के सामने सिर उठाने या बोलने नहीं देता है
-
शिकन
तोड़नेवाला, भंजक, (समासांत में प्रयुक्त) जैसे, बुतशिकन
-
संशय
सन्देहः शङ्का
-
सकुचाहट
वह मनोभाव जो स्वभावतः अथवा संकोच, दोष आदि के कारण दूसरों के सामने सिर उठाने या बोलने नहीं देता है
-
सिकुड़ना
दूर तक फैली वस्तु का सिमटकर थोड़े स्थान में होना, सुकड़ना, आकुंचित होना, बटुरना
-
हया
अनुचित या अनैतिक काम करने से रोकने वाली लज्जा, व्रीड़ा, लज्जा, लाज, शर्म
-
हिचक
किसी काम के करने में वह रुकावट जो मन में मालूम हो, आगा पीछा, हिचकिचाहट
-
हिचकिचाहट
दे. 'हिचक'
-
ही
एक अव्यय जिसका व्यवहार जोर देने के लिये या निश्चय, अनन्यता, अल्पता, परिमिति तथा स्वीकृति आदि सूचित करने के लिये होता है, जैसे,— (क) आज हम रुपया ले ही लेंगे, (ख) वह गोपाल ही का काम है, (ग) मेरे पास दस ही रुपए हैं, (घ) अभी यह प्रयाग ही तक पहुँचा होगा, (च) अच्छा भाई हम न जायँगे, गोपाल ही जायँ, इसके अतिरिक्त और प्रकार के भी प्रयोग इस शब्द के प्राप्त होते हैं, कभी इस शब्द से यह ध्वनि निकलती है कि 'औरों की बात जाने दीजिए', जैसे,—तुम्हीं बताओ इसमें हमारा क्या दोष ?
-
ह्री
लज्जा, व्रीड़ा, शर्मं, हया, संकोच
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
© 2024 Rekhta™ Foundation. All Right Reserved.
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा