शालीन के पर्यायवाची शब्द
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उदार
दाता, दानशील
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कुलीन
उत्तम या प्रसिद्ध कुल में उत्पन्न; ख़ानदानी; अभिजात
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कास
'काँश'
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जात
जन्म
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दुर्गा
(पुराण) एक प्रसिद्ध देवी जिसका दुर्गा नाम दुर्ग राक्षस का वध करने के कारण पड़ा था, आदि शक्ति
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नम्र
विनीत, जिसमें नम्रता हो
- पुंगव
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प्रशिक्षित
जिसे किसी प्रकार का प्रशिक्षण मिला हो
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बुद्धिमान
जिसमें बहुत बुद्धि या समझ हो, जिसकी बुद्धि बहुत प्रखर हो
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भद्र
शिष्ट, भला, शरीफ़, सभ्य, सुशिक्षित
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भलामानुष
अच्छा व्यक्ति, भला आदमी, सभ्य पुरुष
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महाशय
महान् या उच्च आशय और विचारों वाला व्यक्ति, महानुभाव, महात्मा, सज्जन
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लज्जाशील
जिसमें लज्जा हो, जो बात बात में शरमाता हो, लजीला
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वकुल
अगस्त का पेड़ या फूल
- वर्ष
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विनम्र
झुका हुआ, नम्र
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विनयी
विनययुक्त, नम्र
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विनीत
जिसमें उत्तम शिक्षा का संस्कार और शिष्टता हो, विनययुक्त, सुशील
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वीणा
प्राचीन काल का एक प्रसिद्ध बाजा , बीन
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शरद
'शरत्'
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शरीफ़
ऊँचे घराने का व्यक्ति, कुलीन मनुष्य, सज्जन और सभ्य व्यक्ति, भला आदमी, कुलीन एवं सज्जन व्यक्ति
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श्वेत कमल
सफेद रंग का कमल
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शारद
शरद् काल संबंधी, शरद् काल का
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शिक्षित
जिसने शिक्षा पाई हो, पढ़ा लिखा
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शिष्ट
जो अच्छी तरह धर्म का आचरण करता हो, घर्मशील
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शीलवान
जो सबके साथ अच्छा,उचित एवं प्रिय व्यवहार करता हो
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सच्चरित्र
'सच्चरित'
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सज्जन
भला आदमी, सत्पुरुष, शरीफ
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संत
साधु, संन्यासी, विरक्त या त्यागी पुरुष, महात्मा
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सदाचारी
अच्छे आचरणवाला पुरुष, अच्छे चाल चलन का आदमी सद्वृत्तिशील
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सभ्य
भययुक्त
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सरस्वती
एक प्राचीन नदी जो पंजाब में बहती थी और जिसकी क्षीण धारा कुरुक्षेत्र के पास अब भी है
- संवत्सर
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सुशील
उत्तम शीलवाला
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संस्कृत
संस्कार किया हुआ, शुद्ध किया हुआ
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साधु
' साधु ' का सम्बोधन कारक का रूप
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सारंगी
एक प्रकार का बहुत प्रसिद्ध बाजा जिसका प्रचार इस देश में बहुत प्राचीन काल से है । उ— विविध पखावज आवज संचित बिचबिच मधुर उपंग । सुर सहनाई सरस सारंगी उपजत तान तरंग ।—सूर (शब्द॰) । विशेष—यह काठ का बना हुआ होता है और इसकी लंबाई प्राय: डेढ़ हाथ होती है , इसके सामने का भाग, जो परदा कहलाता है, पाँच छह अंगुल चौड़ा होता है, और नीचे का सि अपेक्षाकृत कुछ अधिक चौड़ा और मोटा होता है , इसमें ऊपर की ओर प्राय: ४ या ५ खूँटियाँ होती है जिन्हें कान कहते है , उन्ही खूँटियों से लगे हुए लोहै और पीतल के कई तार होते है , जो बाजे की पूरी लंबाई में होते हुए नीचे की ओर बँधे रहते है , इसे बजाने के लिये लकड़ी का एक लंबा और दोनो ओर कुछ झुका हुआ एक टुकड़ा होता है , जिसमें एक सिरे से दूसरे सिरे तक घोड़े की दुम के बाल बँधे होते हैं , इसे कमानी कहते हैं , बजाने के समय यह कमानी दाहिने हाथ में ले ली जाती है और उसमे लगे हुए घोड़े के बाल से बाजे के तार रेते जाते हैं , उधर बायेँ हाथ की उँगलियाँ तारों पर रहती है जो बजाने के लिये स्वरों के अनुसार ऊपर नीचे और एक तार से दूसरे तार पर आती जाती रहती हैं , इस बाजे का स्वर बहुत ही मधुर और प्रिय होता है; इसलिये नाचने गाने का पेशा करनेवाला लोग अपने गाने के साथ प्राय: इसी का व्यवहार करते हैं
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सौम्य
सोमलता संबंधी
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