शक्ति के पर्यायवाची शब्द
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अग्निशिखा
अग्नि की ज्वाला, आग की लपट
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अजा
जिसका जन्म न हुआ हो, जो उत्पन्न न की गई हो, जन्मरहित
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अतसी
अलसी, तीसी
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अध्यवसाय
लगातार उद्योग, यत्न, अविश्रांत परीश्रम, निसीम उद्यम, दृढ़ता पूर्वक किसी काम में लगा रहना
- अधिकार
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अपर्णा
पार्वती का एक नाम
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अपराजिता
ज़मीन पर फैलने वाली एक प्रकार की बेल, विष्णुक्रांता लता
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अंब
बड़ी, बूढ़ी, पूज्य या आदरणीय महिला के लिए आदरपूर्वक संबोधन, अंबा, माता
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अंबा
माता, जननी, माँ, अम्मा
- अंबिका
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अष्टभुजा
दुर्गा
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अस्तित्व
सत्ता का भाव, विद्यमानता, मौजूदगी
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अस्मिता
योगशास्त्र के अनुसार पाँच प्रकार के क्लेशों में से एक, द्रक, द्रष्टा और दर्शन शक्ति को एक मानना या पुरुष (आत्मा) और बुद्धि में अभेद मानना
- असर
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आत्मतत्व
आत्मा या परमात्मा का तत्व, आत्मा का यथार्थ स्वरूप
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आधिपत्य
प्रभुत्व, स्वामित्व, अधिकार
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आभा
चमक, दमक, कांति
- आर्या
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इच्छा
एक मनोवृत्ति जो किसी ऐसी वस्तु की प्राप्ति की ओर ध्यान ले जाती है जिससे किसी प्रकार के सुख की संभावना होती है , कामना , लालसा , अभिलाषा , चाह , ख्वाहिश
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इड़ा
'इडा'
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इला
पृथ्वी
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ईश्वरत्व
प्रभु होने की स्थिति
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ईश्वरी
दुर्गा, पार्वती, शक्ति
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ईशा
ऐश्वर्य
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उग्रता
तेजी, प्रचंडता, उद्दंडता, उत्कटता
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उग्रा
दुर्गा, महाकाली
- उत्साह
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उद्यम
वह कार्य जो कोई उद्देश्य सिद्ध करने के लिए किया जाए, प्रयास, प्रयत्न
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उद्योग
कारख़ाना (इंडस्ट्री)
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उनमान
अनुमान, खयाल, ध्यान, समझ
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उपनिवेश
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा बसना
- उपमा
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उपमान
वह वस्तु जिससे उपमा दी जाय, वह जिसके समान कोई दूसरी वस्तु बतलाई जाय, वह जिसके धर्म का आरोप किसी वस्तु में किया जाय, जैसे,—'उसका मुख कमल के समान है' इस वाक्य में 'कमल' उपमान है
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उमंग
चित्त का उभाड़, सुखदायक मनोवेग, जोश, मौज, लहर, आनंद, उल्लास, जैसे—आज उनका चित्त बड़े उमंग में है
- उमा
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ऊर्जा
शक्ति, बल
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एकपर्णी
दुर्गा
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ओज
विषम, अयुग्म
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ओजस्विता
तेज, कांति, दीप्ति, प्रभाव
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कंकाली
एक घुमक्कड़ जाति
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कैटभा
दुर्गा का एक नाम
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कपालिनी
दुर्गा, शिवा
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कुब्जिका
आठ बर्ष की अवस्था की लड़की
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कुमारी
दस वर्ष से बारह वर्ष तक की अवस्था की कन्या
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कर्बुरी
दुर्गा
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कल्याणी
कल्याण करने वाली, कल्याणकर, मंगलकारक
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क्षत्र
बल
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क्षत्रिय
हिंदुओं के चार वर्णों में से दूसरा वर्ण, राजपूत
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क्षमता
योग्यता, सामर्थ्य, शक्ति
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क्षमा
चित्त की एक प्रकार की वृत्ति जिससे मनुष्य दूसरे द्वार पहुँचाए हुए कष्ट को चुपचाप सह लेता है और उसके प्रतिकार या दंड की इच्छा नहीं करता, यह वृत्ति तितिक्षा के अंतर्गत मानी गई है, क्षांति
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