शिक्षा के पर्यायवाची शब्द
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अधिगम
प्राप्ति, पहुँच, ज्ञान, गति
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अध्ययन
पठन-पाठन, पढ़ाई, पुस्तक या लेख आदि में लिखी हुई बातें या विषय देखने या पढ़ने की क्रिया
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अनुभव
प्रयोगों से प्राप्त किया हुआ ज्ञान, महसूस करना
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अनुष्ठान
कृत्यक सम्पादन
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इल्म
विद्या , ज्ञान
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उन्नयन
जिसकी आँखें ऊपर की ओर उठी हों
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उपदेश
गुरुमन्त्र , दीक्षा
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कल्प
एक पुराणवर्णित वृक्ष जे सकल फल दैत अछि
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किनारी
अलग हो जाना
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गुरुमंत्र
गूरु का दिया हुआ मंत्र, वह मंत्र जो कोई गुरु किसी को अपना शिष्य बनाते समय देता है
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छंद
वेद वह वाक्य जिसमें वर्ण या मात्रा की गणना के अनुसार विराम आदि का नियम हो
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ज्ञान
वस्तुओं और विषयों की वह भावना जो मन या आत्मा को हो, बोध, जानकारी, प्रतीति, क्रि॰ प्र॰—होना
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ज्योतिष
वह विद्या जिससे अंतरिक्ष में स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की परस्पर दूरी, गति, परिमाण आदि का निश्चय किया जाता है
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तख़्ती
बच्चों के लिखने की मुठिया लगी तख़्ती जो लकड़ी की बनी होती है
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दीक्षा
सोमयागादि का संकल्पपूर्वक अनुष्ठान, यजन, यज्ञकर्म
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धज्जी
कपड़ा अथवा कागज का टुकड़ा; पताका |
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नसीहत
उपदेश, सीख, अच्छी शिक्षा
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निर्देशन
निर्देशकक काज, मार्गदर्शन आ परिचालन
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पट्टी
प्रजाति विशेष का वंश, जातिगत पहिचान या गोत्रवंशज
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परिशोधन
पूरी तरह साफ या शुद्ध करना, पूर्ण रीति से शुद्धि करना, अंग प्रत्यंग की लफाई करना, सर्वतोभाव से शोधन
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परिष्कार
परिमार्जन, सफाइ, मजाइ
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पाटी
पटिये, पापड़ बेलने का पाटा,
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पाठ
पढ़ने की क्रिया, किसी पुस्तक का वह अंश जो एक बार पढ़ाया जाय
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पूर्णता
पूर्ण होने का भाव
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प्रशिक्षण
किसी कार्य को कुशलतापूर्वक करने के लिये दी जानेवाली शिक्षा, शिक्षण, शिक्षा
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बोध
उपदेश, ज्ञान, समझ।
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वासना
कामना, इच्छा, हवस, हींग, गंध।
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विकास
किसी पदार्थ का उत्पन्न होकर अंत या आरंभ से भिन्न रूप धारण करते हुए उत्तरोत्तर बढ़ना, क्रमश: उन्नत होना, क्रमशः वृद्धि
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विद्या
वह ज्ञान जो शिक्षा आदि के द्वारा उपार्जित या प्राप्त किया जाता है, वह जानकारी जो सीखकर हासिल की जाती है, किसी विषय का विशिष्ट ज्ञान, इल्म
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विद्यार्जन
विद्या का अर्जन, विद्या की प्राप्ति, ज्ञान का अर्जन
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वेदांग
वेदों के अंग जो छह हैं और जिनके नाम इस प्रकार हैं—शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष और छंद
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व्याकरण
वह विद्या या शास्त्र जिसमें किसी भाषा के शब्दों के शुद्ध रूपों और वाक्यों के प्रयोग के नियमों आदि का निरूपण होता है, भाषा का शुद्ध प्रयोग और नियम आदि बतलाने वाला शास्त्र
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शास्त्र
हिंदुओं के अनुसार ऋषियों और मुनियों आदि के बनाए हुए वे प्राचीन ग्रंथ जिनमें लोगों के हित के लिए अनेक प्रकार के कर्तव्य बतलाए गए हैं और अनुचित कृत्यों का निषेध किया गया है, वे धार्मिक ग्रंथ जो लोगों के हित और अनुशासन के लिए बनाए गए हैं, विवेचनात्मक ज्ञानविषयक ग्रंथ
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शुद्धि
दे० 'शुचिता' ; दुर्गा देवी का एक नाम ; कृत्य विशेष
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षडंग
जिसके छह् अंग या अवयव हों
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संस्कार
आवश्यक धार्मिक कृत्य जो जन्म से मरण पर्यन्त चलते हैं।
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सत्क्रिया
सत्कर्म, पुण्य, धर्म का काम
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सबक़
उतना अंश जितना एक बार में पढ़ाया जाए, पाठ
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समर्पण
किसी को कोई चीज आदरपूर्वक भेट करना, प्रतिष्ठापूर्वक देना, जैसे,—वे यह पुस्तक किसी राजा या रईस को समर्पण करना चाहते हैं
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सीख
दे० 'सिख'
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