स्तोम के पर्यायवाची शब्द
-
अध्वर
प्राचीन भारतीय आर्यों का एक धार्मिक कृत्य जिसमें हवन आदि होते थे, यज्ञ, सोमयज्ञ
-
अनेक
एक से अधिक , बहुत , ज्यादा , असंख्य , अनगिनत
-
अभिषव
यज्ञ में स्नान
-
अहुत
जप, ब्रह्मयज्ञ, वेद-पाठ, यह मनुस्मृति के अनुसार पाँच यज्ञों में से है
-
आकर
वह स्थान जहाँ से धातुओं के अयस्क आदि खोदकर निकाले जाते हैं, खान, उत्पत्तिस्थान
-
आहव
युद्ब, लड़ाई
-
आहुत
अग्निम समर्पित
-
इज्या
यज्ञ
-
इष्टि
इच्छा, अभिलाषा, आकांक्षा, चाह
-
ऋत
उंछवृत्ति
-
ऋतु
प्राकृतिक अवस्थाओं के अनुसार वर्ष के दो-दो महीनों के छह विभाग, मौसम
-
ओघ
समूह , ढेर
-
गण
समुदाय , 2. जत्था, झुंड ; कोटि , वर्ग ; दूत ; सेवक , नौकर ; छंदशास्त्र में तीन अक्षरों का समूह
-
गोष्ठी
वहुत से लोगों का समूह, सभा, मंडली
-
ग्राम
बस्ती, गाँव
-
चक्र
पहिया , चाका
-
टोली
समूह, मण्डली, झुण्ड।
-
ढेर
नीचे ऊपर रखी हुई बहुत सी वस्तुओं का समूह जो कुछ ऊपर उठा हुआ हो, राशि, अटाला, अंबार, गंज, टाल, क्रि॰ प्र॰—करना, —लगाना
-
थोक
पूरी वस्तु साथ बेचने की क्रिया या भाव; खुदरा का विलोम
-
दल
पत्ता, तुलसीदल, निमंत्रण (कथा का)
-
दिविष्ट
यज्ञ
-
निकर
पुञ्ज, समूह, राशि
-
निकाय
सङघान, संस्था
-
निचय
संचय ; समूह
-
निवह
समूह , समुदाय
-
परिकर
दे० 'पलंग' ; परिवारी जन; समूह ; तैयारी; कमरबंद ; अर्थालंकार विशेष
-
पुंज
समूहित
-
पूँज
(पुंज) ढेर, टाल, कटी फसल का ढेर, गांज
-
प्रकर
अगरु, अगर नामक गंध द्रव्य
-
प्राजापत्य
प्रजापति संबंधी
-
मंडल
घेरा, वृत्त, परिधि।
-
मंडली
समूह, समाज, किसी विशेष कार्य, प्रदर्शन व्यवसाय आदि के लिये बनाया हुआ कुछ लोगों का संगठित दल।
-
मख
मक्खि
-
मन्य
��पने को समझनेवाला, अपने को अमुक जैसा माननेवाला (समासांत में प्रयुक्त) जैसे पंडितंमन्य
-
यजति
'यज्ञ'
-
यज्ञ
प्राचीन भारतीय आर्यों का एक प्रसिद्ध धार्मिक कृत्य जिसमें हवन-पूजन आदि होते थे, कोई अच्छा और शुभ कार्य
-
याग
यज्ञ
-
यूथ
जनसमूह , दल ; सेना
-
वहि
अग्नि
-
वही
उस तृतीय व्यक्ति की ओर निश्चित रूप से सकेत करनेवाला सर्वनाम, जिसके संबंध में कुछ कहा जा चुका हो, पूर्वोक्त व्यक्ति, जैसे,—(क) यह वही आदमी है जो कल आया था
-
वाज
घृत, घी
-
वात
बातचीत, कथा, गप्प, वारता,वातरोग, गठिया, कमरदर्द, वायुविकारजनित वात रोग, वार्तालाप,चर्चा।
-
वार
सप्ताह का कोई दिन, द्वारा, अवरोध, रूकावट, क्षण
-
वितान
विस्तार, फैलाव, बडत्रा चंदवा, समूह,
-
विसर
आगे जाना, गमन करना, जाना
-
वेद
प्राचीनतम आर्य धर्म- ग्रन्थ; ऋक्, यजु, साम और अथर्व वेद
-
व्रज
जाना या चलना, व्रजन, गमन
-
संग्रह
एक ठाम आनि धरब, सङ्कलन, सञ्चय
-
संघ
समूह , समाज
-
संघात
जमाव, समूह, समष्टि
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
© 2024 Rekhta™ Foundation. All Right Reserved.
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा