ताप के पर्यायवाची शब्द
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अग्निशिखा
अग्नि की ज्वाला, आग की लपट
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आग
तेज़ और प्रकाश का पुंज जो उष्णता की पराकाष्ठा पर पहुँची हुई वस्तुओं में देखा जाता है, अग्नि, बैसंदर
- आँच
- आतप
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ईर्ष्या
'ईर्षा'
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उग्रता
तेजी, प्रचंडता, उद्दंडता, उत्कटता
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उष्णा
गरमी
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ऊष्मा
ग्रीष्म काल
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ओज
विषम, अयुग्म
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ओजस्विता
तेज, कांति, दीप्ति, प्रभाव
- कष्ट
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क्षिप्रहस्त
शीघ्र या तेज़ काम करने वाला, जिसका हाथ बहुत तेज़ चलता हो, कुशल
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कांति
पति, शौहर
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गर्मी
उष्ण या गर्म होने की अवस्था या भाव
- ग्रीष्म
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घाम
धूप, सूर्य का ताप
- चमक
- जलन
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ज्वर
शरीर की वह गरमी या ताप जो स्वाभाविक से अधिक हो और शरीर की अवस्थता प्रकट करे । ताप । बुखार ।
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डाढ़ा
दावानल, वन की आग
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डाह
जलन, ईर्ष्या, द्वेष, द्रोह
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तेज
दीप्ति , कांति , चमक , दमक , आभा
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तेजस्विता
तेजस्वी होने का भाव
- तपन
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थकावट
थकने का भाव, शिथिलता, क्रि॰ प्र॰—आना
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दुख
'दुःख'
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द्वेष
किसी के प्रति होने वाले विरोध, वैमनस्य, शत्रुता आदि के फलस्वरूप मन में रहने वाला ऐसा भाव, जिसके कारण मनुष्य उसका बनता या होता हुआ काम बिगाड़ देता है अथवा उसे हानि पहुंचाने का प्रयत्न करता है, चित्त को अप्रिय लगने की वृत्ति , चिढ़ , शत्रुता , वैर, मनमुटाव
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दावानल
वन की आग जो बाँसों या और पेड़ों की दहनियों के एक दूसरे से रगड़ खाने से उत्पन्न होती है और दूर तक फैलती चली जाती है , दनाग्नि
- दाह
- दीप्ति
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धूप
देवपूजन में या सुगंध के लिए कपूर, आग, गुग्गुल, आदि गंधद्रव्यों को जलाकर उठाया हुआ धुआँ, सुगंधित धूम
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धाक
वृष
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धाम
महाभारत के अनुसार एक प्रकार के देवता
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निदाघ
गरमी, ताप
- प्रकाश
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प्रताप
पौरुष, मरदानगी, वीरता
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प्रद्योत
किरण, रश्मि, दीप्ति, आभा
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प्रभा
दीप्ति , प्रकाश , आभा , चमक
- प्रभाव
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प्रयत्न
वह क्रिया जो किसी कार्य को विशेषतः कुछ कठिन कार्य को पूरा करने के लिए की जाए, वह शारीरिक या मानसिक चेष्टा जो किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए की जाती है, विशेष यत्न, प्रयास,अध्यवसाय, चेष्टा, कोशिश
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पीड़ा
किसी प्रकार का दुःख पहुँचाने का भाव, शारीरिक या मानसिक क्लेश का अनुभव, वेदना, व्यथा, तकलीफ, दर्द
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फुर्तीला
जिसमें फुर्ती या तेज़ी हो
- बुखार
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बल
ऐंठन , मरोड़ , वह चक्कर या घुमाव जो किसी लचीली या नरम वस्तु को बढ़ाने या घुमाने से बीच बीच में पड़ जाय , पेच , क्रि॰ प्र॰—पड़ना , —होना
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बीमारी
शरीर, मन आदि को अस्वस्थ करने वाली असामान्य अवस्था
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रुज
भंग, भोग
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रजोगुण
प्रकृति का वह स्वभाव जिससे जीवधारियों में भोग-विलास तथा दिखावे की रुचि उत्पन्न होती है, रजगुण, राजस
- रोग
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रोचि
प्रभा, दीप्ति
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रौब
शक्ति, वीरता आदि का ऐसा प्रभाव जिससे विरोधी दबे रहें
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