उपक्रम के पर्यायवाची शब्द
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अथ
एक मंगलसुचक शब्द जिससे प्राचीन काल में लोग किसी ग्रंथ या लेख का आरंभ करते थे, जैसे—(क) 'अथतो धर्म व्याख्यास्याम:', —वैशोषिक, [ख] 'आथातो ब्रह्माजिज्ञासा', —ब्रह्मासूत्र, पीछे से यह ग्रंथ के आरंभ में उसके नाम के पहले लिखा जाने लगा, जैसे—'अथ विनयपत्रिका लिख्यते'
- अधिकार
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अनुभाग
किसी विभाग के अंतर्गत कोई छोटा विभाग
- आचार
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आरंभ
किसी कार्य की प्रथमावस्था का संपादन, शुरू, प्रारंभ, श्रीगणेश, आरब्ध, शुरूआत, आग़ाज़, इब्तिदा, अनुष्ठान
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ईमान
धर्म और ईश्वर के प्रति होने वाली आस्था, विश्वास, आस्तिक्व बुद्धि
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उद्घात
ठोकर, धक्का, आघात
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उद्यम
वह कार्य जो कोई उद्देश्य सिद्ध करने के लिए किया जाए, प्रयास, प्रयत्न
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उद्योग
कारख़ाना (इंडस्ट्री)
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उपनिषद्
वेद की शाखाओं के ब्राह्मणों के वे अंतिम भाग जिनमें ब्रह्मविद्या अर्थात् आत्मा, परमात्मा आदि का निरूपण रहता है, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण श्रुति धर्म ग्रंथ जिनमें ब्रह्म और आत्मा आदि के स्वभाव और संबंध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन है
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उपाय
वह कार्य या प्रयत्न जिससे अभीष्ट तक पहुँचा जाए, पास पहुँचना, निकट आना
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कर्तव्य
करने के योग, करणीय
- कष्ट
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कार्य
परिश्रमी, सेहवती, कर्मशील
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कोशिश
प्रयत्न, चेष्टा, उद्योग, श्रम
- चरित्र
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चेष्टा
शरीर के अंगों की वह गति या अवस्था जिससे मन का भाव या विचार प्रकट हो, वह कायिक व्यापार जो आंतरिक विचार या भाव का द्योतक हो, शारीरिक व्यापार, भावभंगिमा
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त्वरा
शीघ्रता, जल्दी
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थकावट
थकने का भाव, शिथिलता, क्रि॰ प्र॰—आना
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दर्प
अपने आपको औरों से बहुत अधिक योग्य, समर्थ या बढ़कर समझने का भाव, घमंड , अहंकार , अभिमान , गर्व , ताव
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दीन
जिसकी दशा हीन हो, दरिद्र, निर्धन, ग़रीब
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धर्म
किसी व्यक्ति के लिए निश्चित किया गया कार्य-व्यापार; कर्तव्य
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नैतिकता
नैतिक होने की अवस्था या भाव
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न्याय
नियम के अनुकूल बात, उचित बात, हक़ बात, नीति, इंसाफ़
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पद्धति
राह, पथ, मार्ग, सड़क
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प्रकृति
किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज व स्वाभाविक गुण जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें कभी कोई परिवर्तन नहीं होता, मूल या प्रधान गुण जो सदा बना रहे, तासीर
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प्रक्रम
क्रम, सिलसिला
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प्रथम
गणना में जिसका स्थान सबसे पहले हो, जो गिनती में सबसे पहले आए, पहला
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प्रयत्न
वह क्रिया जो किसी कार्य को विशेषतः कुछ कठिन कार्य को पूरा करने के लिए की जाए, वह शारीरिक या मानसिक चेष्टा जो किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए की जाती है, विशेष यत्न, प्रयास,अध्यवसाय, चेष्टा, कोशिश
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प्रयास
प्रयत्न, उद्योग, कोशिश
- प्रश्न
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परिच्छेद
काटकर विभक्त करने का भाव , कंड या टुकड़े करना , विभाजन
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परिपाटी
क्रम, श्रेणी, सिलसिला
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परिश्रम
उद्यम, आयास, श्रम, क्लेश, मेहनत, मशक्कत
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पसीना
शरीर में मिला हुआ जल जो अधिक परिश्रम करने अथवा गरमी लगने पर सारे शरीर से निकलने लगता है । प्रस्वेद । स्वेद । श्रमवारि । विशेष—पसीना केवल स्तनपायी जीवों को होता है । ऐसे जीवों के सारे शरीर में त्वचा के नीचे छोटी छोटी ग्रंथियाँ होती हैं जिनमें से रोमकूपों में से होकर जलकणों के रूप में पसीना निकलता है । रासायनिक विश्लेषण से सिद्ध होता है कि पसीने में प्रायः वे ही पदार्थ होते हैं जो मूत्र में होते हैं । परंतु वे पदार्थ बहुत ही थोड़ी मात्रा में होते हैं , पसीने में मुख्यतः कई प्रकार के क्षार, कुछ चर्बी और कुछ प्रोटीन (शरीरधातु) होती है , ग्रीष्मऋतु में व्यायाम मा अधिक परिश्रम करने पर, शरीर में अधिक गरमी के पहुँचने पर या लज्जा, भय, क्रोध, आदि गरहे आवेगों के समय अथवा अधिक पानी पीने पर बहुत पसीना होता है , इसके अतिरिक्त जब मूत्र कम आता है तब भी पसीना अधिक होता है , औषधों के द्वारा अधिक पसीना लाकर कई रोगों की चिकित्सा भी की जाती है , शरीर स्वस्थ रहने की दशा में जो पसीना आता है, उसका न तो कोई रंग होता है और न उसमें कोई दुर्गंध होती है , परंतु शरीर में किसी भी प्रकार का रोग हो जाने पर उसमें से दुर्गंध निकलने लगती हैं , क्रि॰ प्र॰—आना , —छूटना , —निकलना , —होना
- भक्ति
- मंगल
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मज़हब
धार्मिक संप्रदाय, पंथ, मत
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मत
किसी विषय में विचारपूर्वक निरूपित या स्थिर किया हुआ ऐसा सिद्धांत, जिसे साधारणतः सब लोग ठीक मानते हों, निश्चित सिद्धांत
- मशक़्क़त
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मेहनत
श्रम, परिश्रम, विशेषतः शारीरिक परिश्रम, मानसिक परिश्रम
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युक्ति
उपाय, ढंग, तरकीब
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यत्न
नैयायिकों के अनुसार रूप आदि ४ गुणों के अंतर्गत एक गुण जो तीन प्रकार का होता है— प्रवृत्ति, निवृत्ति और, जीवनयोनि
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योजना
किसी काम में लगाने की क्रिया या भाव, नियुक्त करने की क्रिया, नियुक्ति
- रीति
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व्यवसाय
वह कार्य जिसके द्वारा किसी की जीविका का निर्वाह होता हो, जीविका, जैसे,—दूसरों की सेवा करना ही उसका व्यवसाय है
- विकल्प
- श्रम
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संप्रदाय
गुरुपरंपरागत उपदेश, गुरुमंत्र
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संप्रदाय
गुरुपरंपरागत उपदेश, गुरुमंत्र
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