उपक्रम के पर्यायवाची शब्द
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अथ
अस्त होना, डूबना
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अधिकार
कार्य का भार, हक, कब्जा, स्वामित्व, प्रभुत्व, अधिपत्य, अधीन क्षेत्र, स्म्पत्ति, स्ववश
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अनुभाग
किसी विभाग के अंतर्गत कोई छोटा विभाग
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आचार
सब्जी या फल को सुखाकर धूप में पकाते हुए तेल मशाला मिलाकर बनाया गया व्यंजन, नियम, आचरण, अनुष्ठान
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आरंभ
किसी कार्य की प्रथमावस्था का संपादन, शुरू, प्रारंभ, श्रीगणेश, आरब्ध, शुरूआत, आग़ाज़, इब्तिदा, अनुष्ठान
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ईमान
ईमानदारी, छलकपटन करने की प्रवृत्ति, अच्छी नीयत
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उद्घात
ठोकर ; धक्का ; आरम्भ
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उद्यम
वह कार्य जो कोई उद्देश्य सिद्ध करने के लिए किया जाए, प्रयास, प्रयत्न
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उद्योग
कारख़ाना (इंडस्ट्री)
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उपनिषद्
वेद की शाखाओं के ब्राह्मणों के वे अंतिम भाग जिनमें ब्रह्मविद्या अर्थात् आत्मा, परमात्मा आदि का निरूपण रहता है, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण श्रुति धर्म ग्रंथ जिनमें ब्रह्म और आत्मा आदि के स्वभाव और संबंध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन है
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उपाय
वह कार्य या प्रयत्न जिससे अभीष्ट तक पहुँचा जाए, पास पहुँचना, निकट आना
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कर्तव्य
करने योग्य कार्य , करणीय कर्म , उचित कर्म , धर्म , फर्ज , जैसे,—बड़ों की सेवा करना छोटों का कर्तव्य है
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कष्ट
क्लेश, दुःख
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कार्य
काज
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कोशिश
उद्यम, प्रयास; श्रम
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चरित्र
चालि, आचरण, चर्या, वैशिष्ट्य
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चेष्टा
अंगों का हिलना-डोलना, गति , हरकत ; भाव भंगी, मन का भाव बताने वाली गति
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त्वरा
शीघ्रता, तेज़ी
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थकावट
थक जाने का भाव, थकावट, शिथिलता, असमर्थता
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दर्प
अपने आपको औरों से बहुत अधिक योग्य, समर्थ या बढ़कर समझने का भाव, घमंड , अहंकार , अभिमान , गर्व , ताव
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दीन
धर्म, (दीन दुनिया में प्रयुक्त) कहा.दीन
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धर्म
किसी व्यक्ति के लिए निश्चित किया गया कार्य-व्यापार; कर्तव्य
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नैतिकता
नैतिक होने की अवस्था या भाव
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न्याय
उचित-अनुचित का विवेक, नीतिसंगत बात
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पद्धति
मार्ग ; कार्य प्रणाली ; परिपाटी ; ढंग ; पंक्ति
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परिच्छेद
काटकर विभक्त करने का भाव , कंड या टुकड़े करना , विभाजन
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परिपाटी
प्रचलित परम्परा, प्रथा, रूढ़ि
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परिश्रम
परिश्रमी, मेहनती
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पसीना
शरीर में मिला हुआ जल जो अधिक परिश्रम करने अथवा गरमी लगने पर सारे शरीर से निकलने लगता है । प्रस्वेद । स्वेद । श्रमवारि । विशेष—पसीना केवल स्तनपायी जीवों को होता है । ऐसे जीवों के सारे शरीर में त्वचा के नीचे छोटी छोटी ग्रंथियाँ होती हैं जिनमें से रोमकूपों में से होकर जलकणों के रूप में पसीना निकलता है । रासायनिक विश्लेषण से सिद्ध होता है कि पसीने में प्रायः वे ही पदार्थ होते हैं जो मूत्र में होते हैं । परंतु वे पदार्थ बहुत ही थोड़ी मात्रा में होते हैं , पसीने में मुख्यतः कई प्रकार के क्षार, कुछ चर्बी और कुछ प्रोटीन (शरीरधातु) होती है , ग्रीष्मऋतु में व्यायाम मा अधिक परिश्रम करने पर, शरीर में अधिक गरमी के पहुँचने पर या लज्जा, भय, क्रोध, आदि गरहे आवेगों के समय अथवा अधिक पानी पीने पर बहुत पसीना होता है , इसके अतिरिक्त जब मूत्र कम आता है तब भी पसीना अधिक होता है , औषधों के द्वारा अधिक पसीना लाकर कई रोगों की चिकित्सा भी की जाती है , शरीर स्वस्थ रहने की दशा में जो पसीना आता है, उसका न तो कोई रंग होता है और न उसमें कोई दुर्गंध होती है , परंतु शरीर में किसी भी प्रकार का रोग हो जाने पर उसमें से दुर्गंध निकलने लगती हैं , क्रि॰ प्र॰—आना , —छूटना , —निकलना , —होना
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प्रकृति
किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज व स्वाभाविक गुण जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें कभी कोई परिवर्तन नहीं होता, मूल या प्रधान गुण जो सदा बना रहे, तासीर
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प्रक्रम
अवस्था, प्रक्रियाक चरण
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प्रथम
गणना में जिसका स्थान सबसे पहले हो, जो गिनती में सबसे पहले आए, पहला
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प्रयत्न
वह क्रिया जो किसी कार्य को विशेषतः कुछ कठिन कार्य को पूरा करने के लिए की जाए, वह शारीरिक या मानसिक चेष्टा जो किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए की जाती है, विशेष यत्न, प्रयास,अध्यवसाय, चेष्टा, कोशिश
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प्रयास
प्रयत्न, उद्योग, कोशिश
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प्रश्न
किसी के प्रति ऐसे वाक्य का कथन जिससे कोई बात जानने की इच्छा सूचित हो, जिज्ञासा
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भक्ति
सेवा, पूजा, श्रद्धा, आस्था, आदर भाव, उपासना, शास्त्र में भक्ति नौ प्रकार की कही गई है यथा- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद-सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्म निवेदन
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मंगल
कल्याण मांगलिक, शुभ, विवाहोत्सव, बंद करना।
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मज़हब
धार्मिक पन्थ
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मत
मति, बुद्धि, निषेधवाचक शब्द, विचार
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मशक़्क़त
toil, hard labour
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मेहनत
श्रम, परिश्रम, विशेषतः शारीरिक परिश्रम, मानसिक परिश्रम
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यत्न
नैयायिकों के अनुसार रूप आदि ४ गुणों के अंतर्गत एक गुण जो तीन प्रकार का होता है— प्रवृत्ति, निवृत्ति और, जीवनयोनि
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युक्ति
उपाय, ढंग, तरकीब
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योजना
किसी काम में लगाने की क्रिया या भाव, नियुक्त करने की क्रिया, नियुक्ति
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रीति
ढँङ्ग , तरीक़ा, प्रकार
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विकल्प
व्याकरण में किसी नियम के दो या अधिक भेदों में से इच्छानुसार किसी एक का ग्रहण, भ्रान्ति, धोखा, भ्रम, विरूद्ध कल्पना, अनेक विधियों का सम्मिलित होना
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व्यवसाय
व्यापार , वाणिज्य , तिजारत
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श्रम
किसी कार्य के संपादन में होने वाला शारीरिक अभ्यास, शरीर के द्वारा होने वाला उद्यम, परिश्रम, मेहनत, मशक़्क़त
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संप्रदाय
गुरुपरंपरागत उपदेश, गुरुमंत्र
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संप्रदाय
गुरुपरंपरागत उपदेश, गुरुमंत्र
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