ऊर्ध्वलोक के पर्यायवाची शब्द
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अक्षर
अच्युत, स्थिर
- अंतरिक्ष
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अनंत
जिसका अंत न हो, जिसका पार न हो, असीम, बेहद, अपार
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अपना
जिसके साथ बहुत अधिक आत्मी यता या घनिष्ठता का व्यवहार या संबंध हो, निज का
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अब्द
दास, सेवक, गुलाम, अनुचर, भक्त
- अंबर
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अम्र
आम्र
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अमरलोक
इंद्रपुरी, देवलोक, स्वर्ग, हिंदुओं के अनुसार सात लोकों में से वह जिसमें पुण्य और सत्कर्म करने वालों की आत्माएँ जाकर निवास करती हैं
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अमरावती
देवताओं की पुरी, इंद्रपुरी, सुरपुरी
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अर्णव
समुद्र
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अर्श
पापयुक्त, दुर्भाग्य लानेवाला
- अवकाश
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अव्यय
जिसमें किसी प्रकार का विकार न हो, जो विकार को प्राप्त न हो, सदा एकरस रहने वाला, अक्षय
- अवरोह
- आकाश
- आसमान
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इड़ा
'इडा'
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ऋभुक्ष
इंद्र
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कैलास
हिमालय की एक चोटी जो तिब्बत में राक्षसताल या रावणह्रद से उत्तर की ओर पचास मील की दूरी पर है और शिव तथा कुबेर का निवास स्थान मानी जाती है, एक प्रसिद्ध तीर्थ
- खगोल
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गगन
आसमान, आकाश, नभ, व्योम, अंतरिक्ष, आकाशस्थ ईश्वर या देव, खुले स्थान में ऊपर की ओर दिखाई देने वाला खाली स्थान, आकाश
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गम
राह, मार्ग, रास्ता
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गयशिर
अंतरिक्ष, आकाश
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ग्रहनेमि
चंद्रमा के मार्ग का वह भाग जो मूल और मृगशिरा नक्षत्रों के बीच में पड़ता है
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गो
गाय, गऊ
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गोपुर
नगर का द्वार, शहर का फाटक
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गोलोक
विष्णु या कृष्ण का निवासस्थान
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गोलोक
(पुराण) विष्णु का लोक
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गौ
गाय
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छायापथ
असंख्य नक्षत्रों का विशिष्ट समूह जो हमें उत्तर से दक्षिण की ओर फैला हुआ दिखाई देता है, आकाशगंगा, आकाश जनेऊ, हाथी की डहर
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त्रिदशालय
स्वर्ग
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त्रिदिव
स्वर्ग
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त्रिविष्टप
स्वर्ग
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तविष
स्वर्ग
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तारापथ
आकाश
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तारायण
आकाश
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द्युलोक
हिंदुओं के अनुसार सात लोकों में से वह जिसमें पुण्य और सत्कर्म करने वालों की आत्माएँ जाकर निवास करती हैं
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द्यौ
दिवस, दिन
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देवधाम
तीर्थस्थान, देवस्थान
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देवलोक
स्वर्ग, देवताओं का लोक, इंद्रलोक, तपस्वियों का निवास, स्वर्गलोक, एक कल्पित लोक
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दिव
स्वर्ग
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धाम
महाभारत के अनुसार एक प्रकार के देवता
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धो
कठिनाई, बड़ा कठिन, मुश्किल, 'धो आयूं' का अर्थ-बड़ी कठिनाई से आया हूँ
- नभ
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नभमंडल
वह जगह जिसमें खगोलीय पिंड होते हैं
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नाक
मुखमंडल की मांस- पोशियों और अस्थियों के उभार से बना हुआ लन के रूप का वह अवयव जिसके दोनों छेद मुखविवर और फुस्फुस से मिले रहते हैं और जिससे घ्राण का अनुभव और श्वास प्रश्वास का व्यापार होता है , सूँघने और साँस लेने की इंद्रिय , नासा , नासिका
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निज
अपना, स्वीय, स्वकीय, पराया नहीं, किसी की दृष्टि से स्वयं उसका
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परमधाम
बैकुंठ, स्वर्गलोक
- परलोक
- पुष्कर
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