वारिद के पर्यायवाची शब्द
-
अब्द
दास, सेवक, गुलाम, अनुचर, भक्त
-
अंबुद
अंबु या जल देने वाला अर्थात बादल, मेघ
-
अंबुधर
पृथ्वी पर के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है, जलधर, बादल, मेघ
-
अंबुभृत्
बादल
-
अब्भ्र
'अभ्र'
- अंबर
-
अंबुवाह
बादल, मेघ
-
अभ्र
मेघ, बादल
- असुर
-
उपल
पत्थर
- कंद
-
कंधर
गरदन, ग्रीवा
-
कय
कितने, कयठू, कयठे, संख्या में कितने
-
क्षर
जिसका क्षरण होता हो या होने को हो, नाशवान्, नश्वर, नष्ट होनेवाला
- घन
-
जलद
जल देने वाला, जो जल दे
-
जलधर
मेघ, बादल
-
जीमूत
पर्वत
-
तोयधर
मेघ, बादल
-
दुर्दर
'दुर्धर'
-
धूमज
(धुएँ से उत्पन्न) बादल
-
धूमयोनि
बादल, पृथ्वी पर के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है
-
धाराधर
मेघ, बादल
-
नभचर
'नक्षश्चर'
-
नीरद
पृथ्वी पर के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है, बादल, मेघ
-
पेचक
बटे हुए तागे की गोली या गुच्छी
-
पयोद
पृथ्वी के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है, बादल , मेघ
-
पयोधर
स्तन
-
पुरजन
नगरवासी लोग
- पर्जन्य
-
पाथोद
बादल, मेघ
-
पारण
किसी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जानेवाला पहला भोजन और तत्संबंधी कृत्य
-
बदरिया
'बदरी २','बदली १'
-
बदली
आकाश में बादलों के छाए होने की अवस्था या भाव, फैलकर छाया हुआ बादल, घनविस्तार
-
बलाहक
मेघ, बादल
- बादल
-
भव
उत्पत्ति, जन्म
-
मेघ
पृथ्वी पर के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है, आकाश में घनीभुत जलवाष्प जिससे वर्षा होती है, बादल
- मतंग
-
मेह
प्रस्राव, मूत्र
-
वनमाली
वनमाला धारण करने या पहनने वाला
-
वृष्णि
मेघ, बादल
-
वातरथ
मेघ, पृथ्वी पर के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है
-
वारिवाह
मेघ, वारिधर
-
श्याम
यदुवंशी वसुदेव के पुत्र जो विष्णु के मुख्य अवतारों में से एक हैं, श्रीकृष्ण का एक नाम, जो उनके शरीर के श्याम वर्ण होने के कारण पड़ा था
- सारंग
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
© 2024 Rekhta™ Foundation. All Right Reserved.
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा