वंश के पर्यायवाची शब्द
-
अग्निवल्लभ
साल का वृक्ष, साखू का पेड़
-
अध्यक्ष
स्वामी, मालिक
-
अन्वय
परस्पर, तारतम्य
-
अपत्य
किसी का पुत्र या पुत्री, संतान, औलाद
-
अभिजन
कुल, वंश
-
अल्ल
वंश का नाम, उपगोत्रज नाम, जैसे—पाँड़े, त्रिपाठी, मिश्र, आदि
-
असिपत्रक
'असिपत्र'
-
आख्या
नाम
-
आश्रम
ऋषियों और मुनियों का निवासस्थान , तपोवन, साधु संत के रहने की जगह , जैसे,—कुटी या मठ
-
आस्पद
स्थान
-
इक्षु
'इच्छुक'
-
इक्षुर
गोखरू
-
ईख
शर जाति का एक प्रकार जिसके डंठल में मीठा रस भरा रहता हैं । इसके रस से गुड़ चीनी और मिश्री अदि बनती हैं । ड़ंचल में ६-६ या ७-७ अंगुर पर गाँठें होता हैं और सिरे पर बहुत लंबी लंबी पत्तयाँ होती हैं, जिन्हें गेंड़ा कहते हैं । विशेष— भारतवर्ष में इसकी बुआई चैत बैसाख में होती हैं । कार्तिक तक यह पक जाती हैं, अर्थात् इसका रस मीटा हो जाता है और कटने लगती है । ड़ंठलों को कोल्हू में पेरकर रस निकालते हैं । रस को छानकर कड़ाहे में औटाते हैं । जब रस पककर सूख जाता है तब गुड़ कहलाता है । यदि राब बनाना हुआ तो औटाते समय कड़ाहे में रेंड़ी की गूदी का पुट देते हैं । जिससे रस फट जाता है और ठंढा होने पर उसमें कलमें वा रवे पड़ जाते हैं । इसी राब से जूसी या चोटा दूर करके खाँड़ बनाते हैं । खाँड़ और गुड़ गला कर चीनी बनाते हैं । ईख के तीन प्रधान भेद माने गए हैं । ऊख, गन्ना और पौंढ़ा । (क) ऊख— इसका ड़ंठल पतला, छोटा और कड़ा होता है । इसका कड़ा छिलका कुछ हरापन लिये हुए पीला होता है और जल्दी छाला नहीं जा सकता । इसकी पत्तियाँ पतली, छोटी, नरम और गहरे हरे रंग की होती है । इसकी गाँटों में उतनी जटाएँ नहीं होतीं, केवल नीचे दो तीन गाँठों तक होती हैं । इसकी आँखें, जिनसे पत्तियाँ निकलती हैं, दबी हुई होती हैं । इसके प्रधान भेद धौल, मतना, कुसवार, लखड़ा, सरौती आदि हैं । गुड़ चीनी आदि बनाने के लिये अधिकतर इसी की खेती होती है । (ख) गन्ना- यह ऊख से मोटा और लंबा होता है । इसकी पत्तियाँ ऊख से कुछ अधिक लंबी और चौड़ी होती हैं । इसकी छिलका कड़ा होता है, पर छीलने से जल्दी उतर जाता है , इसकी गाँठों में जटाएँ अधिक होती हैं , इसके कई भेद हैं; जैसे, — अगौल, दिकचन, पंसाही, काला गन्ना, केतारा, बड़ौखा, तंक, गोड़ार , इससे जो चीनी बनती हैं , उसका रंग साफ नहीं होता , (ग) पोंढ़ा— यह विदेशी है , चीन, मारिशस (मिरच का टापू), सिंगापुर इत्यादि से इसकी भिन्न भिन्न जातियाँ आई हैं इसका ड़ंठल मोटा और गूदा नरम होता हैं , छिलका कड़ा होता है और छीलने से बहुत जल्दी उतर जाता है , यह यहाँ अधिकतर रस चूसने के काम में आता है , इसके मुख्य भेद थून, काल गन्ना और पौंठा हैं , राजनिघंटु में ईख के इतने भेद लिखे हैं- पौंड्रक (पौंढ़ा) भीरुक, वंशक (बड़ौखा), शतपोरक (सरौती), कांतार (केतारा), तापसेक्षु, काष्टेक्षु (लखड़ा), सूचिरपत्रक, नैपाल, दीर्घपत्र, नीलपोर (काल गेड़ा), कोशकृत (कुशवार या कुसियार)
-
उपमेत
साखू नाम का पेड़, शालवृक्ष
-
ऊख
घास या सरकंडे की प्रजाति का एक पौधा जिसके रस से गुड़ और चीनी बनाई जाती है, गन्ना, देखिए : 'ईख'
-
औलाद
संतान, संतति, किसी का पुत्र या पुत्री
-
कंटकी
जिसमें काँटा हो, काँटेदार, कँटीला
-
कुटुंब
परिवार, कुनबा, ख़ानदान
-
क़बीला
स्त्री, जोरू
-
कर्कोटक
एक नाग
-
कर्मार
कारीगर (सुनार, लोहार इत्यादि)
-
कल
अव्यक्त मधुर ध्वनि , जैसे—कोयल की कूक, भौंरों की गुंजार
-
कुल
एक ही मूल पुरुष से उत्पन्न सब वंशज अथवा उनकी पीढ़ियों का वर्ग या समूह, खानदान, घराना, वंश, परिवार, वंश , घराना , खानदान
-
क्षेत्र
वह स्थान जहाँ अन्न बोया जाता हो, खेत
-
कषायी
जिस से गोंद जैसा पदार्थ निकले
- कंस
- कांतार
-
कार्ण्य
कृष्णता
-
कांस्य
काँसा , कसकुट
-
किष्कुपर्वा
ईख गन्ना
- कीचक
-
कोशकार
तलवार, कटार आदि के लिए म्यान बनाने वाला
-
ख़ानदान
एक ही पूर्वपुरुष से उत्पन्न व्यक्तियों का वर्ग या समूह, वंश, कुल, घराना, कुटुंब
-
गन्ना
सरकंडे की जाति का एक प्रसिद्ध गाँठदार लंबा पौधा जिसके मीठे रस से गुड़, चीनी आदि बनाई जाती है, ईख, ऊख
-
गोत्र
संतति , संतान
-
घराना
खानदान, वंश, कुल, जैसे,—वह अच्छे घराने का आदमी है, उस घराने की गायकी प्रसिद्ध है
-
घोष
आभीरपल्ली, अहीरों की बस्ती
-
चीरपर्ण
साल का पेड़
-
जनसमुदाय
बहुत से व्यक्तियों का समूह, मानवों का समूह, भीड़, मजमा
-
जरणद्रुम
साखू का वृक्ष, सागौन का पैड़
-
जाति
हिंदुओं में मनुष्य समाज का वह विभाग जो पहले पहल कर्मानुसार किया गया था, पर पीछे से स्वभावत: जन्मानुसार हो गया
-
जातिवर्ग
एक जाति विशेष का वर्ग; जातियों का वर्ग या समूह
-
जोड़
गणित में कई संख्याओं का योग, जोड़ने की क्रिया
-
झुंड
बहुत से मनुष्यों पशुओं या पक्षियों आदि का समूह , प्राणियों का समुदाय , वृंद , गिरोह , जैसे— चिड़ियों का झु़, कबुतरों का झुंड
-
ठाँव
स्थान , जगह , ठिकाना
- ठौर
-
तेजन
बाँस
-
तनय
पुत्र, बेटा, लड़का
- तरु
-
त्वक्सार
बाँस
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
© 2024 Rekhta™ Foundation. All Right Reserved.
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा