वर्ण के पर्यायवाची शब्द
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अक्षर
अच्युत, स्थिर
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अभिनय
दूसरे व्यक्तियों के भाषण तथा चेष्टा को कुछ काल के लिए धारण करना, नाटय-मुद्रा, स्वाँग, नक़ल
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आखर
अक्षर
- आत्मा
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आनंद
हर्ष, प्रसन्नता, ख़ुशी, सुख, मोद, आह्लाद
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इड़ा
'इडा'
- इरा
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इला
पृथ्वी
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ईश्वरी
दुर्गा, पार्वती, शक्ति
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कूटस्थ
सर्वापरि स्थिति, आला दर्जे का
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क़बीला
स्त्री, जोरू
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कुल
एक ही मूल पुरुष से उत्पन्न सब वंशज अथवा उनकी पीढ़ियों का वर्ग या समूह, खानदान, घराना, वंश, परिवार, वंश , घराना , खानदान
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कांति
पति, शौहर
- काम भावना
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गगन
आसमान, आकाश, नभ, व्योम, अंतरिक्ष, आकाशस्थ ईश्वर या देव, खुले स्थान में ऊपर की ओर दिखाई देने वाला खाली स्थान, आकाश
- गिरा
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गीर्देवी
सरस्वती, शारदा
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गो
गाय, गऊ
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गोत्र
संतति , संतान
- चमक
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जगद्धात्री
दुर्गा की एक मूर्ति
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जनसमुदाय
बहुत से व्यक्तियों का समूह, मानवों का समूह, भीड़, मजमा
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जाति
हिंदुओं में मनुष्य समाज का वह विभाग जो पहले पहल कर्मानुसार किया गया था, पर पीछे से स्वभावत: जन्मानुसार हो गया
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तप
शरीर को कष्ट देने वाले वे व्रत और नियम आदि जो चित्त को शुद्ध और विषयों से नीवृत्त करने के लिये किए जायँ, तपस्या, क्रि॰ प्र॰—करना, —साधना
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दमक
चमक, चमचमाहट, द्युति, आभा, एक तरह का प्रकाश
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द्युति
दीप्ति, कांति, आभा, चमक
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देवगुही
सरस्वती
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धर्म
किसी व्यक्ति के लिए निश्चित किया गया कार्य-व्यापार; कर्तव्य
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नृत्य
संगीत के ताल और गति के अनुसार हाथ पाँव हिलाने, उछलने कूदने आदि का व्यापार, नाच, नर्तन
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नस्ल
किसी जाति के पालतू पशुओं की एक विशेष प्रजाति
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नाट्य
रंगमंच पर अभिनेताओं का हावभाव, वेश और कथोपकथन द्वारा घटनाओं का प्रदर्शन
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नाट्यशाला
वह स्थान जहाँपर अभिनय किया जाय, नाटकघर
- नित्य
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पूत्कारी
विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री देवी
- प्रणय
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प्रेम
वह मनोवृत्ति जिसके अनुसार किसी वस्तु या व्यक्ति आदि के संबंध में यह इच्छा होती है कि वह सदा हमारे पास या हमारे साथ रहे, उसकी वृद्धि, उन्नति या हित ही अथवा हम उसका भोग करें, वह भाव जिसके अनुसार किसी दृष्टि से अच्छी जान पड़नेवाली किसी चीज या व्यक्ति को देखने, पाने, भोगने, अपने पास रखने अथवा रक्षित करने की इच्छा हो, स्नेह, मुहब्बत, अनुराग, प्रीति
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परिवार
कोई ढकनेवाली चीज, परिच्छद, आवरण
- प्रीति
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पावका
सरस्वती (वेद)
- ब्रह्म
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ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने वाली स्त्री
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ब्रह्मपुत्री
सरस्वती, वाक् की अधिष्ठात्री देवी
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ब्रह्माणी
ब्रह्मा की स्त्री, ब्रह्मा की सक्ति
- ब्राह्मी
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भगवती
देवी
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भारती
वचन, वाणी
- भाषा
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मधुर
जिसका स्वाद मधु के समान हो, मीठा
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महावर
लाख से बना हुआ एक प्रकार का वह लाल रंग जिससे सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पैर चित्रित करतीं तथा तलुए रँगती हैं, यावक, जावक
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मोक्ष
किसी प्रकार के बंधन से छूट जाना, बंधन से मुक्त, मोचन, छुटकारा
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