वर्तुल के पर्यायवाची शब्द
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अंतरिक्ष
पृथ्वी और सूर्या आदि लोकों के बीच का स्थान, पृथ्वी और अन्य ग्रहों के चारों ओर का स्थान, कोई दो ग्रहों या तारों के बीच का शून्य स्थान, आकाश, अधर, रोदसी, शून्य
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अमरावती
देवताओं की पुरी, इंद्रपुरी, सुरपुरी
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अर्श
पापयुक्त, दुर्भाग्य लानेवाला
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अव्यय
कारकसम्बन्धरहित शब्द, जेना अहा, आओर इत्यादि
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आकाश
आसमान , अन्तरिक्ष , गगन , पाँच तत्त्वों में से एक तत्त्व
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आचार
सब्जी या फल को सुखाकर धूप में पकाते हुए तेल मशाला मिलाकर बनाया गया व्यंजन, नियम, आचरण, अनुष्ठान
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इड़ा
पृथ्वी
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कंद
वह जड़ जो गूदेदार और बिना रेशे की हो , जैसे—सूरन, मूली, शकरकंद इत्यादि
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कुंडलाकार
वृत्त या चक्र के आकार का, कुंडल की तरह गोल, गोलाकार, मंडलाकार, वर्तुल
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कुंडली
जलेबी
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गोपुर
नगर का द्वार, शहर का फाटक
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गोलोक
विष्णु या कृष्ण का निवासस्थान
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गोलोक
श्रीकृष्ण का बाँसस्थान, स्वर्ग, बैकुंठ
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गौरी
पार्वती, आठ वर्ष की कन्या
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ग्रंथिमूल
शलजम, गाजर, मूली आदि मूल जो गाँठों के रूप में ज़मीन के अंदर होते हैं, ऐसी वनस्पतियाँ जो गाँठों के रूप में होती हैं
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घटना
कोई बात जो अकस्मात हो जाय ; कोई अद्भुत बात
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चक्राकार
पहिए के आकार का, वृत्ताकार, मंडलाकार, गोल, चक्रिल
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चरित
गया हुआ, गत
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चरित्र
चालि, आचरण, चर्या, वैशिष्ट्य
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तविष
वृद्ध, महत्
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दिव
स्वर्ग
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देवलोक
स्वर्ग।
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द्यौ
आसमान, स्वर्ग, आकाश, प्रकाश, दिन, दिव, दिवस |
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धाम
तीर्थ, धाम, लक्ष्य, 'धाम धोंणों'-लक्ष्य तक पहुँचना, 'चारै धाम'- चारों तीर्थ- बदरी- केदार, द्वारका, पुरी (जगन्नाथ), कांची
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नाक
नाक, नासिका, मान मर्यादा, प्रतिष्ठा, इज्जत; स्वाभिमान
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प्रकरण
उत्पन्न करना , अस्तित्व में लाना
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बात
सार्थक शब्द या वाक्य, किसी वृत्त या विषय को सूचित करने वाला शब्द या वाक्य, कथन, वचन, वाणी, बोल
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बेला
बेरि समय
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बैकुंठ
बैकुंठ, स्वर्ग
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भद्रवल्ली
Jasminum sambac, Goertnera racemosa, Vallaris dichotomus
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मंडल
चक्र के आकार का घेरा , किसी एक बिंदु से समान अंतर पर चारों ओर घूमी हुई परिधि , चक्कर , गोलाई , वृत्त
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मंडलाकार
दे० 'मंडल'
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मंडली
समूह, समाज, किसी विशेष कार्य, प्रदर्शन व्यवसाय आदि के लिये बनाया हुआ कुछ लोगों का संगठित दल।
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मल्लिका
एक प्रकार का बेला जिसे मोतिया कहते हैं
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मोगरा
एक प्रकार का बड़ा वेले का फूल
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मोतिया
एक प्रकार का बेला जिसकी कली मोती के समान गोल होती है, सफ़ेद तथा सुगंधित फूलों वाला एक पौधा
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यवनेष्ट
सीसा
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वर्णन
चित्रण, रँगना
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वार्षिकी
बेले का फूल
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विषय
वह तत्व अथवा पदार्थ जिसका ग्रहण ज्ञानेंद्रियों द्वारा होता हो, जैसे —रूप, रस, गंध, स्पर्श और शब्द जिनका संबंध क्रमशः आँख, जिह्वा, नाक, त्वचा और कान से है
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वृत्त
बीता हुआ, गुज़रा हुआ
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वृत्तांत
वर्णन; हालचाल
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वृत्ताकार
वृत्त या चक्र के आकार का
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वैष्ट्र
स्वर्ग
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शलजम
एक गोल कंद जिसका ऊपरी हिस्सा हल्के बैंगनी तथा निचला हिस्सा सफ़ेद होता है
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शिखाकंद
शलजम, शलगम
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शून्य
वह स्थान जिसमें कुछ भी न हो, खाली स्थान
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सिता
चीनी, शक्कर, शर्करा
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सुरलोक
देवलोक, स्वर्ग
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स्वर्ग
हिंदुओं के सात लोकों में से तीसरा लोक जो ऊपर आकाश में सूर्य लोक से लेकर ध्रुव लोक तक माना जाता है
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