विकृत के पर्यायवाची शब्द
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अपटु
जो पटु न हो, कार्य करने में असमर्थ
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अपवित्र
जो पवित्र न हो, अशुद्ध, नापाक, दूषित, मैला, मलिन, गंदा
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अभ्यमित
रोगी
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अभ्यांत
रोगी, आतुर
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अशुचि
जो शुचि या पवित्र न हो, जो धर्मानुसार पवित्र न हो, अपवित्र, नापाक
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अशुद्ध
जिसमें पवित्रता आदि का अभाव हो, अपवित्र, अशौच-युक्त, नापाक
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असुंदर
जो सुंदर न हो, कुरूप, भद्दा, बुरी शक्ल का
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अस्वस्थ
रोगी, बीमार
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आतुर
जो जिज्ञासा करता हो या जानने की इच्छा रखता हो, उत्सुक
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आमयावी
रोगी
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आवेशग्रस्त
जो आवेश से भरा हो
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कुरूप
बुरी शकल का, बदसूरत, बेडोल, बेढंगा
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कलंकित
जिसे कलंक लगा हों, कलंकी, लांछित, दोषयुक्त, बदनाम
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कलुषित
दूषित, दुष्ट , अपवित्र
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क्षतिग्रस्त
किसी प्रकार की क्षति उठाने वाला, जिसे हानि हुई हो या क्षति पहुँची हो
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क्षीण
दुबला, पतला
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ख़राब
विकृत; बिगड़ा हुआ, बुरा , निकृष्ट , हीन , अच्छा का उलटा , जो बहुत दुरवस्था में हों , दुर्दशाग्रस्त , जैसे—मुकदमे लड़कर उन्होंने अपने आपको खराब कर दिया
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गर्हित
जिसकी निंदा की जाय, निंदित, दूषित, बुरा
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ग्लान
जो किसी रोग से पीड़ित हो, ज्वर आदि रोगों से पीड़ित, बीमार, रोगी
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गिरा हुआ
जो गिर या ढह गया हो
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घृणित
घृणा करने योग्य
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घिनौना
घिनावना, घृणा उत्पन्न करने वाला, किसी व्यक्ति या वस्तु को देखने के बाद मन में होने वाली घिन
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जुगुप्सित
निदित, घृणित
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दूषित
जिसमें दोष हो, ख़राब, बुरा, दोषयुक्त, कलंकित, बेकार
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दोषयुक्त
जिसमें दोष हो
- पतित
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परिवर्तित
जिसका आकार या रूप बदल गया हो, बदला हुआ, रूपांतरित
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बदसूरत
कुरुप, भद्दी सुरतवाला, बेडौल, बदशक्ल
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बुरा
जो अच्छा या उत्तम न हो, खराब, निकृष्ट, मंदा
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बीमार
वह जिसे कोई बीमारी हुई हो, रागग्रस्त, रोगो, क्रि॰ प्र॰—पड़ना, —होना
- भ्रष्ट
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भीषण
जो देखने में बहुत भयानक हो, डरावना, भयानक
- मंद
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मरीज़
वह जिसे कोई रोग हुआ हो
- मलिन
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मलीन
मैला, अस्वच्छ
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रुग्ण
घायल, चोट खाया हुआ
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रुजी
जिसे कोई रोग हो, अस्वस्थ, बीमार
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रोगी
जो स्वस्थ न हो, जिसकी तंदुरुस्ती ठीक न हो, रोगयुक्त, व्याधिग्रस्त, बीमार, माँदा
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व्याधिग्रस्त
रोगी
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व्याधित
वह जिसे किसी प्रकार की व्याधि हुई हो, रोगी, बीमार
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विकारी
जिसमें कोई विकार हो, विकारयुक्त, विकार वाला
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विद्य
लाभ, प्राप्ति
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विरूप
एकरूपता से अनेकरूपता अर्थात् निर्विशेषता से विशेषता की ओर परिवर्तन, एक मूल प्रकृति से अनेक विकृतियों की ओर गति
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विरूप
कई रंग रूप का, कई शकलों का, तरह तरह का
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विरूपित
बिगड़ा हुआ रूप या स्वरूप
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वीभत्स
साहित्य के नौ रसों में से सातवाँ रस जो रक्त, मांस, हड्डी, चर्बी, मृत शरीर आदि जैसे घृणित पदार्थ देखकर या उनका वर्णन सुनकर मन में होने वाली अरुचि, ग्लानि एवं घृणा से उत्पन्न होता है
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सामय
'समय'
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