विस्तार के पर्यायवाची शब्द
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अवकाश
स्थान , जगह
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आडंबर
ठाठ
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आयतन
मकान, घर
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आवास
आश्रय, घर, निवास, रहने का मकान या डेरा
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उलझाव
दे० 'उलझन' ; बखेड़ा , झंझट; चक्कर , फेर
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उल्लोच
चाँदनी , प्रकाश ; दोवा, वितान
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कदक
डेरा , तम्बू ; चाँदनी
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कपट
छिपाने की दूषित मनोवृत्ति, अभिप्राय साधन के लिये हृदय की बात को छिपाने की वृत्ति , छल , दंभ , धोखा
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कृष्ण द्वैपायन
एक बहुत बड़े और श्रेष्ठ ऋषि जिन्होंने वेदों का संग्रह एवं संपादन किया था
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घर
मनुष्यों के रहने का स्थान जो दीवार आदि से घेरकर बनाया जाता है, वह स्थान जहाँ कोई व्यक्ति निवास करता है, निवास स्थान, आवास, गृह, मकान
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घेरा
फैलाव, चारो ओर की सीमा घिरा हआ स्थान
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चंद्रातप
चाँदनी, चंद्रिका
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छल
छाली उतारा हुआ दही
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जमाव
भीड़
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झंझट
व्यर्थ का झगड़ा, टंटा, बखेड़ा
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झगड़ा
दो मनुष्यों का परस्पर आवेशपूर्ण विवाद, लड़ाई, टंटा, बखेड़ा, कलह, हुज्जत, तकरार, क्रि॰ प्र॰—करना, —उठाना, —समेटना, —डालना, — फैलाना, —तोड़ना, —खड़ा करना, —मचाना, —लगाना
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टंटा
ताँबे के बर्तन बनाने वाला कारीगर, ठठेरा; उत्तराखण्डी हरिजनों की एक जाति
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द्वैपायन
महाभारत और पुराणों के रचनाकार महर्षि वेदव्यास का एक नाम
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धोखा
छल, कपट, भुलावा; धूर्त्तता, चालाकी; गलत आश्वासन; धोखा उत्पन्न करने वाली वस्तु, छलावा, माया; अज्ञान, नावाकिफ होने का भाव; जोखिम; भूल, चूक
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निग्रह
दण्ड, बन्दीकरण, गिरफ्तारी
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परिधि
चारो तरफ एक समान दूरी से
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पाराशरि
पराशर के पुत्र वेदव्यास
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प्रचार
घूमना-फिरना, व्यापक व्यवहार, आचरण, चलन, को प्रसिद्ध करने का कार्य, किसी वस्तु का निरन्तर व्यवहार या उपयोग, विज्ञापन
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प्रदर्शन
जन-समूहक ध्यान आकृष्ट करबाक हेतु औपचारिक रीतिएँ देखाएब
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प्रपंच
पाँच तत्वों का उत्तरोत्तर अनेक भेदों में विस्तार, संसार, सृष्टि, भवजाल
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प्रसार
पसरब, व्याप्ति
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फैलाव
विस्तार, प्रचार
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बखेड़ा
झञ्झट, विवाद, झमेल
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मंडल
चक्र के आकार का घेरा , किसी एक बिंदु से समान अंतर पर चारों ओर घूमी हुई परिधि , चक्कर , गोलाई , वृत्त
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मकान
गृह , घर
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मख
मक्खि
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मन्दिर
गृह जिस घर में देवी / देवता का स्थापना किया हो देवालय
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माया
लक्ष्मी, धन, सम्पत्ति।
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मुश्किल
जो करने में बहुत कठिन हो, जो आसान न हो, कठिन, दुष्कर, दुस्साध्य
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यज्ञ
वैदिक कर्म विशेष ; बलिदान ; विष्णु
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याग
यज्ञ
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रिक्त
जिसमें अंदर का स्थान शून्य हो या जो भरा न हो , ख़ाली, शून्य, जैसे,—रिक्त घट, रिक्त स्थान
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वर्धन
बढ़ओनाइ
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वादरायणि
व्यास के पुत्र, शुकदेव
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विकास
किसी पदार्थ का उत्पन्न होकर अंत या आरंभ से भिन्न रूप धारण करते हुए उत्तरोत्तर बढ़ना, क्रमश: उन्नत होना, क्रमशः वृद्धि
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विग्रह
दे० 'विगार'; शरीर ; मूर्ति ; सजावट ; स्कंध के एक अनुचर का नाम ; शिव जी का एक नाम ; विभाग
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वितान
विस्तार, फैलाव, बडत्रा चंदवा, समूह,
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विवाद
किसी बात या वस्तु पर ज़बानी झगड़ा, वाक् युद्ध, कहासुनी, तकरार, बहस
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विस्तीर्णता
विस्तीर्ण होने का भाव, विस्तार, फलाव
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वृत्त
बीता हुआ, गुज़रा हुआ
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वृद्धियुक्त
बढ़ा हुआ
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वेदव्यास
'व्यास'
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व्यास
विस्तार, प्रसार
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शामियाना
अपेक्षाकृत बड़ा और खुला हुआ तंबू, एक प्रकार का बड़ा तंबू
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शून्य
वह स्थान जिसमें कुछ भी न हो, खाली स्थान
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