jaap meaning in braj
जाप के ब्रज अर्थ
पुल्लिंग
- इष्ट देवता के नाम मंत्रादि का बार-बार उच्चारण , जप
- वह जाप जो मन ही मन सदा जपा जाय, चौबीस घंटे में २१६०० श्वास नासिका रन्ध्रों से बाहर आती-जाती है, यह 'ह' से बाहर आती है और 'स' से भीतर जाती है इस प्रकार शरीर के भीतर बैठा हुआ प्राणी (जीव) प्रत्येक श्वास-प्रश्वास में 'हंसः' मन्त्र को जपा करता है यदि प्रत्
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हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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