kaa.njii meaning in braj
- स्रोत - संस्कृत
- देखिए - हलुआ
कांजी के ब्रज अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
एक प्रकार का खट्टा रस जो कई प्रकार से बनाया जाता है जिसमें अचार और बड़े आदि पड़ते हैं
उदाहरण
. पावक तें पारो काँजी छिपे ह विचारौ छीर । - मट्ठा या दही
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