पूज

पूज के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

पूज के ब्रज अर्थ

विशेषण, सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, सकर्मक

  • पूजने का कार्य
  • पूज्य
  • पूजन करना; श्रद्धा भाव से सत्कार करना; व्यंग्यार्थ में, खूब पीटना

अकर्मक क्रिया, अकर्मक

  • पूर्ण होना ; कमी आदि की पूर्ति होना ; समतल होना ; ऋण चुकता होना ; किसी के बराबर पहुँचना
  • पूरा करना

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हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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