रस

रस के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

रस के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आनंद , साहित्य को आनंदात्मक चित्तवृत्ति विशेष , यह अनुभाव, विभाव और संचारी भावों से युक्त हो स्थायी भाव के व्यंजित होने पर उत्पन्न होती है

    उदाहरण
    . उ0-बीरा परस्पर खात, रस अंग अंग बतात ।

  • प्रेम , केलि , काम क्रीड़ा

    उदाहरण
    . कहि कहिये यो रंग क्यों, ना वह रस ना मित्त ।

  • अमृत ; रसौषध , आयुर्वेदानुसार सप्त धातुओं में से एक ; पारा

    उदाहरण
    . पुरिया एक लाख तिहि माहीं, नृप रस कहो जगाती काहीं ।

  • पानी , ७ मल का तरल अंश , ८. धातुओं को फूंक कर बनाया हुआ द्रव्य

अकर्मक क्रिया

  • टपकना, रिसना; रसपान करना; प्रेमासक्त होना ; तन्मय होना

अन्य भारतीय भाषाओं में रस के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

रसा - ਰਸਾ

रस - ਰਸ

गुजराती अर्थ :

रस - રસ

द्रव - દ્રવ

काव्यानंद - કાવ્યાનંદ

उर्दू अर्थ :

शोरबा - شوربہ

जज़्बा - جذبہ

कोंकणी अर्थ :

रस

रोस

काव्यानंद

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