viraaj meaning in braj
विराज के ब्रज अर्थ
विशेषण, पुल्लिंग
- बिजार का अपभ्रंश , साँड़
-
अराजक शासन रहित
उदाहरण
. सुनि नाथ दुख की गाथ, जासों होत सहर बिराज ।
सकर्मक क्रिया, सकर्मक
-
होना , रहना ; शोभित होना; प्रकाशित होना
उदाहरण
. कृपा विशेष विराजहु निसि दिन जोरी गिरिधर साथ की ।
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हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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