-
1.
जी का बैरी जी
जीव जीव का भक्षक़ है या मनुष्य स्वयं अपना शत्रु ह
-
2.
जी का जी में रहना
मनोरथों का पूरा न होना, मन में ठानी, सोची या चाही हुई बातों का पूरा न होना
-
3.
जी का बुख़ार निकालना
हृदय का उद्वेग बाहर करना, क्रोध, शोक और दुःख आदि के वेग को रो-कलपकर या बक-झक कर शांत करना, ऐसे क्रोध या दुःख को शब्दों द्वारा प्रकट करना जो बहुत दिनों से चित्त को संतप्त करता रहा हो
-
4.
जी का अमान माँगना
प्राण रक्षा की प्रतिज्ञा की प्रार्थना करना, किसी काम के करने या किसी बात के कहने के पहले उस मनुष्य से प्राण रक्षा करने या अपराध क्षमा करने की प्रार्थना करना जिसके विषय में यह निश्चय हो कि उसे उस काम के होने या उस बात को सुनने से अवश्य दुःख पहुँचेगा
-
5.
जी का आ लगना
प्राणों पर आ बनना, प्राण बचना कठिन हो जाना, ऐसी भारी झंझट या संकट में फँस जाना कि पीछा छुड़ाना कठिन हो जाए