abhangpad meaning in braj
अभंगपद के ब्रज अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
श्लेष अलंकार का एक भेद जहाँ समूचे शब्द से ही दो अर्थ निकल आते हैं वहाँ अभंग-पद श्लेष होता है
उदाहरण
. कोई है अभंग, कोई पद है सभंग सोधि, देखे सब अंग, सम सुधा के प्रवाह की।
अभंगपद के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
(काव्यशास्त्र) वह श्लेष अलंकार जिसमें अक्षरों को इधर-उधर न करना पड़े और शब्दों से भिन्न-भिन्न अर्थ निकल आएँ, श्लेष अलंकार का एक भेद
उदाहरण
. अति अकुलाय शिलीमुखन, वन में रहत सदाय। तिन कमलन की हरत छबि तेरे नैन सुभाय (शब्द॰)। यहाँ 'शिलीमुख', 'वन' और 'कमल' शब्द के दो-दो अर्थ बिना शब्दों को तोड़े हुए हो जाते हैं। . रावन सिर सरोज बनचारी। चलि रघुबीर सिली मुख धारी।
अभंगपद के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिए
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा