abhinnakriy meaning in braj
अभिन्नक्रिय के ब्रज अर्थ
स्त्रीलिंग
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केशव के मतानुसार श्लेषालंकार का एक भेद , श्लेष में जहाँ विविध पक्षों के लिए क्रिया एक हो पर उसका फल विरुद्ध हो, वह अभिन्न-क्रिय श्लेष कहलायेगा
उदाहरण
. बहुरयो एक अभिन्नक्रिय अविरुद्धक्रिय जान ।
अभिन्नक्रिय के तुकांत शब्द
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