abran meaning in braj

अबरन

अबरन के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

अबरन के ब्रज अर्थ

विशेषण, पुल्लिंग

  • जिसका कोई रूप या रंग न हो , वर्ण-रहित , बदरंग

    उदाहरण
    . अबरन, बरन सुरति नहिं धार ।

  • जो आस-पास के रंगों से भिन्न रंग या प्रकार का हो
  • अवर्णनीय, अकथनीय
  • अक्षर-रहित , वर्णेतर
  • अकार
  • कुजाति , वर्णाधम

अबरन के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • जिसका वर्णन न हो सके, अकथनीय

    उदाहरण
    . भजि मन नंद नंदन चरन । सनक संकर ध्यान ध्यावत निगम अबरन बरन । . अबरन कौ का बरनिए मौंपे लख्या न जाइ । अपना बाना बाहिया कहि कहि थाके माइ । कबीर॰ ग्रं॰, पृ॰ ६१ ।

  • जिसमें रंग न हो या जिसका कोई रंग न हो, बिना रंग का, वर्णशून्य

    उदाहरण
    . अलख अरुप अबरन सो करता । वह सब सों, सब वहि सौं बरता ।

  • एक रंग का नहीं, भिन्न

    उदाहरण
    . हद छोड़ बेहद भया अबरन किया मिलान । दास कबीरा मिल रहा सो कहिए रहमान ।


संज्ञा, पुल्लिंग

  • 'आवरण'

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