agnipuraan meaning in braj

अग्निपुराण

अग्निपुराण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

अग्निपुराण के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • 18 पुराणों में से एक

अग्निपुराण के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अठारह पुराणों में से आठवाँ पुराण

    विशेष
    . इसका नाम अग्निपुराण इस कारण है कि इसे अग्नि ने वशिष्ठ जी को पहले पहल सुनाया था। इसके श्लोकों की संख्या कोई १४,०००, कोई १५,००० और कोई १६,००० मानते हैं। इसमें यद्यपि शिव का माहात्म्यवर्णन प्रधान है पर कर्मकांड, राजनीति, धर्मशास्त्र, आयूर्वेद, अलंकार, छंदः शास्त्र, व्याकरण, तंत्र आदि अनेक फुटकर विषय भी इसमें सम्मिलित हैं।

    उदाहरण
    . अग्नि ने सर्वप्रथम वशिष्ठ ऋषि को अग्निपुराण सुनाया था।

अग्निपुराण के तुकांत शब्द

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