apat meaning in braj
अपत के ब्रज अर्थ
विशेषण
-
(पौधा, बेल, वृक्ष आदि) जिसमें पत्ते न हों अथवा जिसके पत्ते झड़ गए हों, पत्र-विहीन
उदाहरण
. अब, अलि, रही गुलाब मैं अपत, कॅटीली बि०२२५/१०७
विशेषण
- निर्लज्ज , बेहया
-
अधम , नीच
उदाहरण
. अपत, उतार, अभागी, कामी, विषयी निपट कुकर्मी। सूर १/१८६/२
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- (आपत्ति)
- अपत होने की अवस्था या भाव
-
धृष्टता , निर्लज्जता
उदाहरण
. अति ही करी उन अपतई हरि सी समताई। - विपत्ति , मुसीबत
-
दुर्दशा , दुर्गति
उदाहरण
. जो मेरे दीन दयाल न होते तो मेरी अपत कौरव सुत, होत पंडवनि ओते । सूर १/२५६/२ -
अप्रतिष्ठा
उदाहरण
. अफजल की अगत सायस्तखाँ की अपत बह- vलोल की बिपत डरे उमराउ हैं । - उत्पात , उपद्रव
- झंझट , बखेड़ा
अपत के हिंदी अर्थ
संस्कृत ; विशेषण
-
अधम, पातकी, नीच
उदाहरण
. प्रभु जु हौं तो महा अधर्मी । अपत, उतार, अभागौ, कामी, विषयी निपट, कुकर्मी । . राम राम राम राम राम जपत । पावन किये रावन रिपु तुलसी हू से अपत । - जो पल्लव या पत्तियों से रहित हो
-
पत्रहीन, बिना पत्तों का
उदाहरण
. जिन दिन देखे वे कुसुम गई सो बीति बहार । अब अलि रही गुलाब की अपत कँटीली डार । - आच्छादनरहित, नग्न
- जिसने वस्त्र न पहना हो या खुला रहने वाला
- जो पाप करता हो या पाप करने वाला
- (स्थान) जहाँ तक पहुँचा न जा सके, अगम्य
- जिसकी पहुँच न हो सके
- जिसमें पते न हों अथवा जिसके पते झड़ गये हों
संस्कृत, अरबी ; विशेषण
-
लज्जारहित, निर्लज्ज
उदाहरण
. लुटे सीखिन अपत करि सिसिर सुसेज बसंत । दै दल सुमन किए सो भल सुजस लसंत । - जिसे लज्जा न आती हो या जिसमें लज्जा न हो
संस्कृत ; संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
अप्रतिष्ठा, बेइज्जती, दुर्दशा
उदाहरण
. जौ मेरे दीनदयाल न होते । तौ मेरी अपत करत कौरवसुत होत पंडवनि ओते ।
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
- विपत्ति, आपत्ति
अपत के तुकांत शब्द
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