aprak.Dhtaashritashleesh meaning in hindi
अप्रकृताश्रितश्लेष के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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श्लेष नामक शब्दालंकार का एक भेद जिसमें प्रस्तुत और अप्रस्तुत का श्लेष हो , जैसे-तिय तौ ऐसी चँचलता, जीवन सुखद समच्छ , बसति हृदय घनश्याम के बर सारंग सुअच्छ
विशेष
. यह दोहा शब्दों को भंग अर्थात् अक्षरों को कुछ इधर उधर कर देने से, स्त्री और बिजली दोनों पर घटता है । स्त्रीपक्ष में अर्थ करने से सखि नायिका से कहती है तेरे सामान दूसरी स्त्री जीवनसुखदायिनी और कमलनयनी घनश्याम के हृदय में बसती है । बिजली पक्ष लेने से यह अर्थ होता है की हे, स्त्री तेरे सामने बिजली है जो जीवन अर्थात् जल देनेवाली है, इत्यादि । इन दोनों पक्षों में दूसरी स्त्री और बिजली दोनों अप्रस्तुत हैं ।
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