arati meaning in braj
अरति के ब्रज अर्थ
स्त्रीलिंग
- (किसी से) अनुराग या प्रीति न होना
- असंतोष
- क्रोध
- चिता
- उच्चाटन
- उद्वेग
- सुस्ती, प्रमाद
- व्यथा, पीड़ा
- एक प्रकार का पित्तरोग
अरति के हिंदी अर्थ
अर्ति
संज्ञा, स्त्रीलिंग
-
विराग चित्त का न लगना
उदाहरण
. सुर स्वारथी मलीन मन कीन्ह कुमंत्र कुठाटु । रचि प्रपंच माया प्रबल भय भ्रम अरति उचाटु । -
धनुष के दोनों छोर
उदाहरण
. वह अर्ति पर प्रत्यंचा बाँध रहा है । - रति, अनुराग, प्रवृत्ति या वासना आदि का न होना
- जैन शास्त्रानुसार एक प्रकार का क्रम जिसके उदय से चित्त किसी काम में नहीं लगता, यह एक प्रकार का मोहनीय कर्म है, अनिष्ठ में खेद उत्पन्न होने को भी अरति कहते है
- उग्र या बहुत कष्टदायक पीड़ा विशेषतः हार्दिक या मानसिक पीड़ा
- उदासीनता; विरक्ति; अरुचि
- असंतोष
- असंतोष
- क्रोध
- सुस्ती; आलस्य
- चिंता
- व्यथा
- उच्चाटन
-
जैनशास्त्रानुसार एक कर्म
उदाहरण
. अरति के उदय से मन किसी काम में नहीं लगता है । - उद्वेग
- आसक्त न होने की अवस्था या भाव
- सुस्ती, प्रमाद
- व्यथा, पीड़ा ,
- एक प्रकार पित्तरोग
- (किसी से) अनुराग या प्रीति न होना (एपथी)
- रत न होने की अवस्था या भाव
विशेषण
- असंतुष्ट
- शांतिरहित, अशांत
- सुस्त, प्रमादी
अरति के तुकांत शब्द
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