atharv meaning in hindi
अथर्व के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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चार वेदों में से एक वेद, चौथा वेद
विशेष
. इसके मंत्रद्रष्टा या ऋषि भृगु या अंगिरा गोत्रवाले थे जिस कारण इसको 'भृर्ग्वांगिरस' और 'अथर्वांगिरस' भी कहते हैं। इसमें ब्रह्मा के कार्य का प्रधान प्रतिपादन होने से इसे 'ब्रह्मादेव' भी कहते हैं। इस वेद में यज्ञकर्में का विधान बहुत कम है। शांति, पोष्टिक अभिचार आदि प्रतिपादन विशेष है। प्रायश्चित, तंत्र, मंत्र आदि इसमें मिलते हैं। इसकी नौ शाखाएँ थीं- पैप्यला, दांता, प्रदांता, स्नौता, ब्रह्मादावला, शौनकी, देविदर्शती और चरण विद्या। कहीं कहीं इन नौं शाखाओं के नाम इस प्रकार हैं- पिप्पलादा, शौनकीया, दामोदा, तोतायना, जाजला, ब्रह्मप- लाशा, कौनखिना, देवदर्शिना और चारण विद्या। इन शाखाओं में से आजकल केवल शौनकीय मिलती है जिसमें २० कांड, १११ अनुवाक, ७३१ सूक्त और ४७९३ मंत्र हैं। पिप्पलाद शाखा की संहिता प्रोफ़ेसर बुलर को काश्मीर में भोजपत्र पर लिखी मिली थी पर वह छपी नहीं। इसका उपवेद धनुर्वेद है। इसके प्रधान उपनिषद् प्रश्न, मुंडक और मांडूक्य हैं। इसका गोपथ ब्राह्मण आजकल प्राप्त है।कर्मकांडियों को इस वेद का जानना आवश्यक है।उदाहरण
. अथर्ववेद में आयुर्विज्ञान संबंधी अपार ज्ञान राशि उपलब्ध है। -
अथर्ववेद का मंत्र
उदाहरण
. वैद्यजी अथर्व पढ़ रहे हैं। -
एक महर्षि जो ब्रह्मा के ज्येष्ठ पुत्र थे
उदाहरण
. ब्रह्मा ने अथर्व को ब्रह्मविद्या का उपदेश दिया था।
अथर्व के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Masculine
- the fourth and the last of the Vedas
अथर्व के तुकांत शब्द
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