bhaanuprataap meaning in hindi
भानुप्रताप के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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रामायण के अनुसार एक राजा का नाम यह कैकय देश के राजा सत्यकेतु का पुत्र था
विशेष
. तुलसीकृत रामायण में इसकी कथा इस प्रकार दी है' अपने पिता द्वारा राज प्राप्त करने के बाद एक दिन प्रतापभानु शिकार खेलने गया। इसे जंगल में एक सुअर देख पड़ा, इसने घोड़े को उसके पीछे डाल दिया। घने जंगल में जाकर सूअर कहीं छिप गया और राजा जंगल में भटक गया। उस जंगल में उसे एक तपस्वी का आश्रम मिला। वह तपस्वी राजा का एक शत्रु था जिसका राज्य इसने जीत लिया था। राजा प्यासा था और उसने तपस्वी को पहचाना न था। उससे उसने पानी माँगा। तपस्वी ने एक तालाब बतला दिया। राजा ने वहाँ जाकर जल पीकर अपना श्रम मिटाया। रात हो रही थी, इससे तपस्वी राजा को अपने आश्रम में ले गया। रात के समय दोनों में बातचीत हुई। तपस्वी ने कपट से राजा को अपनी मीठी मीठी बातों से वशीभूत कर लिया। भानुप्रताप उसकी बातें सुनकर उसपर विश्वास करके रात को वहीं आश्रम में सो रहा। तपस्वी ने अपने मित्र कालकेतु राक्षस को बुलाया, इसी ने सूकर बनकर राजा को भुलाया था, वह राजा को क्षणभर में उठाकर उसकी राजधानी में पहुँचा आया और उसके घोड़े को घुड़शाला में बाँध आया साथ ही उस राजा के पुरोहित को भी उठाकर एक पर्वत की गुफा में बंद कर आया और पुरोहित का रूप धरकर उसके स्थान पर लेट रहा, सबेरे जब राजा जागा तो उसे मुनि पर विशेष श्रद्धा हुई, पुरोहित को बुलाकर राजा ने तीसरे दिन भोजन बनाने की आज्ञा दी और ब्राह्मणों को भोजन का निमंत्रण दिया, कपटी पुरोहित ने अनेक मांसों के साथ मनुष्य (ब्राह्मण) का मांस भी पकाया, जब ब्राह्मण लोग भोजन करने उठे राजा परोसने लगा तब इसी बीच में आकाशवाणी हुई कि तुम लोग यह अन्न मत खाओ, इसमें मनुष्य का मांस है, ब्राह्मण लोग आकाशवाणी सुनकर उठ गए और राजा को शाप दिया कि तुम परिवार सहित राक्षस हो, कहते हैं, वही राजा भानुप्रताप मरने पर रावण हुआ, (देखिए तुलसीकृत रामायण, बालघंड, दोहा १५३ से १७६) - (संगीत) कर्नाटक पद्धति का एक राग
भानुप्रताप के तुकांत शब्द
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