बिरत

बिरत के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

बिरत के ब्रज अर्थ

विशेषण

  • विरत , हटे हुए मन वाला, विरक्त , विमुख ; विशेष रूप से रत, बहुत लीन , , बहुत लगा हुआ

बिरत के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • 'विरत'

संज्ञा, पुल्लिंग

  • व्यवहार स्थिति, आजीविका

    उदाहरण
    . सांख्य योग और नौधा भक्ती । सुपना में इनकी बिरती । . इसमें चिर प्राचीन शब्द वृत्ति था, जिससे हिंदी बिरत निकला है ।

बिरत के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • व्रत, उपवास, संकल्प, क्षत्रियों के यहाँ विवाह की एक रस्म जिसमें कन्या पक्ष का पण्डित और नाई वर-पक्ष के यहाँ तिलक चढ़ाने जाता है वो वर-पक्ष वाले एक थाली में रुपया भरकर नाई के सामने रखकर उसमें से रु पये उठाने को कहते हैं नाई जितने रुपये उठाता है उतने हजार की शादी का संकेत होता है, यह रुपया उठाकर शादी की रूपरेखा देने की क्रिया बिरत उठाना कहलाती है, (श.यु.)तीरथ-बिरत-तीर्थाटन आदि पुण्य कार्य

बिरत के मालवी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • व्रत या उपवास।

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