ब्रह्म

ब्रह्म के अर्थ :

  • अथवा - ब्रहम

ब्रह्म के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • ईश्वर; परमात्मा
  • आत्मा
  • ब्राह्मण
  • एक मात्र नित्य चेतन सता जो जगत् का कारण हे , सत्, चित्, आनंद स्वरुप तत्व जिसके अतिरिक्त और जो कुछ प्रतीत होता है, सब असत्य़ और मिथ्या है

    विशेष
    . ब्रह्मा जगत् का कारण है, यह ब्रह्म का तटस्थ लक्षण है । ब्रह्म सच्चिदानंद अंखंड़ नित्य निर्गुण अद्बितीय इत्यादि है । यह उसका स्वरुपलक्षण है । जगन् का कारण होने पर भी जैसी कि सांख्य़ की प्रकृति या बैशिषिक ता परमाणु है, उस प्रकार ब्रह्म परिणामी या आरंभक नहीं । वह जगत् का अभिन्न निमित्तोपादान-विवात कराण है, जैस, मकड़ी, जो जाले का निमित्त और उपादान दोनों कहीं जा सकती है । सारंश यह कि जगत् ब्रह्म का परिणाम या विकार नहीं है, । किसी वस्तु का कुछ और हो जाना विकार या परिणाम है । उसका और कुछ प्रतीत होना विवर्त है । जैसे, दूध का दही हो जाना विकार है, रस्सी का साँप प्रतीत होना विवर्त है । यह जगत् ब्रह्म का विवर्त है, अतः मिथ्या या भ्रम रुप है । ब्रह्मा के अतिरिक्त और कुछ सत्य नहीं है । और जो कुछ दिखाई पड़ता है, उसकी पारिमार्थिक सत्ता नहीं है । चैतन्य आत्मवस्तु के अतिरिक्त और किसी वस्तु की सत्ता न स्वागत भेद के रुप में, न सजानीय भेद के रूप में औऱ न विजातीय भेद के रूप में सिद्ध हो सकती है । अतः शुद्ध अद्वैत द्दष्टि में जीवात्मा ब्रह्म का अंश (स्वगत भेद) नहीं है, अपने को परिच्छन्न और मायाविशिष्ट समझना हुआ ब्रह्म ही है । सत् पदार्थ केवल एक ही हो सकता है । दो सत् पदार्थ मानने से दोनों को देश या काल से परिच्छन्न मानना पड़ेगा । नाम और रुप की उत्पत्ति का नाम ही सृष्टि है । नाम और रुप ब्रह्म के अवयव नहीं, क्योंकि वह तीनों प्रकार के भेदों से रहित है । अतः अद्वैत ज्ञान ही सत्य ज्ञान है । द्वैत या नानात्व ज्ञान अज्ञान है, भ्रम है । 'ब्रह्य' का सम्यक् निरुपण करनेवाले आदिग्रंथ उपनिषद् है । उनमें 'नेति' नेति' (यह नहीं, यह नहीं) कहकर ब्रह्य प्रपंचों से परे कहा गया है । 'तत्वमसि' इस वाक्य द्वारा आत्मा और ब्रह्म का अभेद व्यंजित किया गया है । ब्रह्मसंबंधी इस ज्ञान का प्राचीन नाम ब्रह्मविद्या है, जिसका उपदेश उपनिषदों में स्थान स्थान पर है । पीछे ब्रह्मतत्व का व्यवस्थित रुप में प्रतिपादन व्यास द्वारा ब्रह्मसूत्र में हुआ,जो वेदांत दर्शन का आधार हुआ । दे॰ 'वेदांत' ।

  • जगत का मूल तत्व
  • ईश्वर , परमात्मा
  • वह सबसे बड़ी परम और नित्य चेतन सत्ता जो जगत का मूल कारण और सत्, चित्त, आनन्दस्वरूप मानी गयी है

    उदाहरण
    . ब्रह्म एक है ।

  • आत्मा , चैतन्य , जैसे,—जैसा तुम्हारा ब्रह्म कहे, वैसा करो
  • एक उपनिषद्
  • ब्राह्मण (विशेषतः समस्तपदों में प्राप्त) , जैसे ब्रह्मद्रोही, ब्रह्माहत्या

    उदाहरण
    . चल न ब्रह्मकुल सन बरिआई । सत्य कहौं दोउ भुजा उठाई ।

  • ब्रह्मा (अधिकतर समास में) , जैसे, ब्रह्मसुता, ब्रह्मकन्यका

    उदाहरण
    . ब्रह्म रचै पुरुषोतम पोसत संकर सृष्टि सँहरान हारे । . मोर बचन सबके मनमाना । साधु साधु करि ब्रह्म बखाना ।

  • ईश्वर, परमात्मा
  • ब्राह्मण जो मरकर प्रेत हुआ हो , ब्राह्मण भुत , ब्रह्मराक्षस
  • वैद
  • एक की संख्या ९
  • वेदांत दर्शन के अनुसार वह एक मात्र चेतन, नित्य और मूल सत्ता जो अखंड, अनंत, अनादि, निर्गुण और सत्, चित् तथा आनंद से युक्त कही गई है, विशेष साधारणतः यही सत्ता सारे विश्व या सृष्टि का मूल कारण मानी जाती है, परन्तु अधिक गम्भीर दार्शनिक दृष्टि से यह माना जाता है कि यही जगत् का निमित्त भी है और उपादान भी, इसी आधार पर यह जगत उस ब्रह्म का विवर्त (देखें) मात्र माना जाता है, और कहा जाता है कि ब्रह्म ही सत्य है, और बाकी सब मिथ्या या उसका आभास मात्र है, प्रत्येक तत्त्व और प्रत्येक वस्तु के कण कण में ब्रह्म की व्याप्ति मानी जाती है, और कहा जाता है कि अंत या नाश होने पर सबका इसी ब्रह्म में लय होता है
  • फलित ज्योतिष में २७ योगों में से पचीसवाँ योग जो सब कार्यों के लिये शुभ कहा ग��ा है
  • संगीत में ताल के चार भेदों में से पक (को॰)
  • ब्राह्मणत्व (को॰)
  • प्रणव , ओंकर (को॰)
  • सत्य (को॰)
  • धन (को॰)
  • भोजन (को॰)

ब्रह्म के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

ब्रह्म से संबंधित मुहावरे

ब्रह्म के कन्नौजी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • सच्चिदानंद स्वरूप जगत का मूल तत्त्व. 2. सत्य. 3. वेद

ब्रह्म के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सम्पूर्ण जड़-चेतन में व्याप्त एक मात्र सत्ता; ईश्वर, परमेश्वर

Noun, Masculine

  • the supreme impersonal being all pervading spirit of the universe, Brahaman, the creator, God, the almighty.

ब्रह्म के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • देखिए : 'परब्रह्म' ;देखिए : 'वेद'; देखिए : ब्राह्मण'

    उदाहरण
    . सुख जत ब्रह्म बंस हैं जो लौ, मेरो राज भूमितल तो लौ ।

  • हिरण्यगर्भ ; तीर्ष विशेष ; ताल के चार भेदों में से एक

ब्रह्म के मगही अर्थ

बरहम

अरबी ; संज्ञा

  • ब्रह्मा, बर्हमा

ब्रह्म के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • परम तत्त्व
  • परमात्मा

विशेषण

  • ब्राह्मण सम्बन्धी |

Noun

  • ultimate reality.
  • supreme soul.

Adjective

  • relating to Brahman,

    उदाहरण
    . ब्रह्ममाती, ब्रह्मचर्य इत्यादि See below.

सब्सक्राइब कीजिए

आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।

क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा