chaandogy meaning in hindi
छांदोग्य के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- सामवेद का एक ब्राह्मण जिसके प्रथम दो भागों में विवाह आदि का वर्णन है और अंतिम आठ प्रपाठकों में उपनिषद् है
- छांदोग्य ब्राह्मण का उपनिषद् । विशेष—इस उपनिषद् के प्रथम प्रपाठक (ब्राह्मण के तृतीय) में १३ खड हैं जिसमें प्रायः औ३म् का ही वर्णन है । दूसरे में २४ खंड हैं जिनमें यज्ञों की विधि और मांत्रों के गायन की शिक्षा बड़ें विस्तार से है । तीसरे प्रपाठक के १९ खंड हैं जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति आदि का वर्णन तथा ब्रह्म विद्या का सूक्ष्म विचार है , त्रिकाल संध्य और सूर्य के जप आदि का भी विवरण है , चौथे प्रपाठक में १७ खंड़ हैं जिनमें सत्यकाम जाबालि के प्रति उपदेश है, यज्ञों की विधियाँ बताई गई हैं और ऋक्, यजु, साम के भूः, भुवः, स्वः यथाक्रम तीन देवता मानकर तप के विधान का प्रतिपादन है , पाँचवें प्रपाठक के २४ खंड़ हैं , इसी में प्राण और इंद्रियों का वर्णन है और गाथा द्वारा यह बतलाया गया है कि अग्निहोत्र से सृष्टि की वृष्टि होती है उसी से मेघ होता है मेघ से वृष्टि होती है, वृष्टि से अन्न होता हैं, अन्न से रस होता है और रस से संतान आदि की वृद्धि होती है , छठे प्रपाठक में १६ खंड हैं जिनमें उद्दालक ने अपने पुत्र श्वेतकेतु से सृष्टि की उत्पत्ति आदि का वर्णन करके कहा—'हे श्वेतकेतु ! तू ही ब्रह्म है' , इस प्रपाठक में वेदांत का महावाक्य 'तत्वमसि' कई बार आया है , सातवें प्रपाठक में, जिसमें २६ खंड हैं, सनत्कुमारों ने नारद को आतुर देख उन्हें ब्रह्माविद्या का उपदेश किया है , नारदजी ने कहा है कि मैंने वेद, इतिहास, पुराण, राशिविद्या, दैवविद्या, निधिविद्या, वाकोवाक्य विद्या, देवविद्या, ब्रह्माविद्या, भूतविद्या, क्षत्रविद्या, नक्षत्रविद्या, सर्पदेवजनविद्या इत्यादि बहुत सी विद्याएँ सीखी हैं , इन विद्याओं से आजकल लोग भिन्न अभिप्राय निकालते हैं , आठवें प्रपाठक में ब्रह्माविद्या का स्पष्टता और विस्तार के साथ उपदेश देकर कहा गया है कि ब्रह्मज्ञान के पश्चात् जन्म नहीं होता
छांदोग्य के मैथिली अर्थ
विशेषण
- वेदक सामवेदसंहिताक अनुयायी (ब्राह्मणक एक वर्ग)
Adjective
- (a section of Brahman) follower of a particular Vedic school.
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