chakrmudraa meaning in hindi
चक्रमुद्रा के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
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चक्र आदि विष्णु के आयुधों के चिह्न जो वैष्णव अपने बाहु तथा और अंगों पर छापते हैं
विशेष
. चक्र मुद्रा दो प्रकार की होती है, तप्त मुद्रा और शीतल मुद्रा । जो चिह्न आग में तपे हुए चक्र आदि के ठप्पों से शरीर पर दागे जाते हैं, उन्हें तप्त मुद्रा कहते हैं । जो चंदन आदि से शरीर पर छापे जाते हैं, उन्हें शीतल मुद्रा कहते हैं । तप्त मुद्रा का प्रचार रामानुज संप्रदाय के वैष्णवों में विशेष है । तप्त मुद्रा द्वारका में ली जाती है । जैसे,—मूँड़े मूँड़, कंठ वनमाला मुचिद्रक्र दिए । सब कोउ कहत गुलाम श्याम को सुनत सिरात हिए ।—सूर (शब्द॰) । - तांत्रिकों की एक अंगमुद्रा जो पूजन के समय की जाती है , इसमें दोनों हाथों को सामने खूब फैलाकर मिलाते और अँगूठे को कनिष्ठा उँगली पर रकते हैं
संज्ञा, पुल्लिंग
- शरीर के विभिन्न अंगों पर दगवाया या लगवाया जानेवाला चक्र के आकार का चिह्न
चक्रमुद्रा के तुकांत शब्द
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