chau.nr meaning in garhwali
चौँर के गढ़वाली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- चंवर, सुरागाय के पूँछ के बालों का गुच्छा जो डंडी मे बांध कर राजाओं या इष्ट देवों के ऊपर डुलाया जाता है
Noun, Masculine
- afly whisk made of the tail of 'YAK'.
चौँर के हिंदी अर्थ
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
- सुरों या चौंरी मृग (= चामर मृग ) गाय की पूँछ के बालों का गुच्छा जो एक डांडी में लगा रहता है और पिछे या बगल से राजा महाराजाओं या देव- मूर्तियों के सिरों पर इसलिये हिलाया जाता है जिसमें मक्खियाँ आदि न बैठने पावें, चँवर, दे॰ 'चँवर', क्रि॰ प्र॰—करना, —डुलाना, —होना
- भडभाँड की जड, सत्यानाशी की जड, चोक
- पिंगल में मगण के पहले भेद (s) की संज्ञा, जैसे, श्री
-
४ झालर, फुँदना
उदाहरण
. बहु फूल की माल लपेटि के खंभन धूप सुगंध सो ताहि धुपाइए । तापै चहूँ दिसि चंद छपा से सुसोभित चौंर घने लटकाइए । . तैसइ चौंर बनाए औ घाले गल झंप । बँधे सेत गजगाह तहँ जो देखै सो कंप ।
चौँर के अंगिका अर्थ
चौंर
संज्ञा, पुल्लिंग
- चॅवर, झालर फुंदना, समतल चीकनी मिट्टी वाली जमीन
चौँर के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- सुरगाय की पूँछ या गुच्छा जिसे मूठ में डालकर देवमूर्ति या राजाओं पर डुलाते है, चँवर चावल
चौँर के ब्रज अर्थ
चौंर, चौर
पुल्लिंग
- दे० 'चंवर'
चौँर के मगही अर्थ
हिंदी ; संज्ञा
- डडे में लगा सोरही गाय आदि के वालों के गुच्छे का परखा, चँवर; दलदल जमीन जहाँ बराबर पानी लगा रहता है; दो गांवों के बीच का खुला मैदान, पैंतर; खेतों के बीच का गढा अथवा तालाब
चौँर के तुकांत शब्द
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