daaraciinii meaning in hindi
दारचीनी के हिंदी अर्थ
संज्ञा, स्त्रीलिंग
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एक प्रकार का तज जो दक्षिण भारत, सिंहल और टेनासरिम में होता है
विशेष
. सिंहल में ये पेड़ सुगंधितद छाल के लिये बहुत लगाए जाते हैं । भारतवर्ष में यह जंगलों में ही मिलता है और लगाया भी जाता है तो बगीचों में शोभा के लिये । कोंकण से लेकर बराबर दक्षिण की ओर इसके पेड़ मिलते हैं । जँगलों में तो इसके पेड़ बड़े बड़े मिलते हैं पर लगाए हुए पेड़ झाड़ के रूप में होते हैं । पत्ते इसके तेजपत्ते ही की तरह के, पर उससे चौड़े होते हैं और उनमें बीचवाली खड़ी नस के समानांतर कई खड़ी नसें होती हैं । इसके फूल छोटे छोटे होते हैं और गुच्छो में लगते हैं । फूल के नीचे की दिउली छह फाँकों की होती है । सिंहल में जो दारचीनी के पेड़ लगाए जाते हैं उनके लगाने और दारचीनी निकालने की रीति यह है । कुछ कुछ रेतीली करैल मिट्टी में ४-५ हाथ के अंतर पर इसके बीज बोए जाते या कलम लगाए जाते हैं । बोए हुए बीजों या लगाए हुए कलमों को धूप से बचाने के लिये पेड़ की डालियाँ आस पास गाड़ दी जाती हैं । ६ - वर्ष में जब पेड़ ४ या ५ हाथ ऊँचा हो जाता है तब उसकी डालियाँ छिलका उतारने के लिये काटी जाती हैं , डालियों में छूरी से हलका चीरा लगा दिया जाता है जिसमें छाल जल्दी उचट आवे , कभी कभी डालियों को छुरी के बेंट आदि से थोड़ा रगड़ भी देते हैं , इस प्रकार अलग किए हुए छाल के टुकड़ों को इकट्ठा करके दबा दबाकर छोटे छोटे पूलों में बाँधकर रख देते हैं , वे पूले दो या एक दिन यों ही पड़े रहते हैं, फिर छालों में एक प्रकार का हलका खमीर सा उठता है जिसकी सहायता से छाल के ऊपर की झिल्ली और नीचे लगा हुआ गूदा टेढ़ी छुरी से हटा दिया जाता है , अंत में छाल को दो दिन छाया में सुखाकर फिर धुप, दिखाकर रख देते हैं
- ऊपर लिखे पेड़ की सुगंधित छाल जो दवा और मसाले के काम में आती है
दारचीनी के तुकांत शब्द
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