devaapi meaning in hindi
देवापि के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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एक राजा का नाम
विशेष
. इस राजा के संबंध में वैदिक कथा इस प्रकार है। ऋषिथेण राजा के दो पुत्र थे—देवापि और शांतनु। दोनों में देवापि बड़े थे पर राज्य शांतनु को मिला और देवापि तपस्या में लगे। शांतनु के राज्य में 12 वर्ष की अनावृष्टि हुई। ब्राह्मणों ने कहा कि तुम जेठे भाई के रहते राजसिंहासन पर बैठे हो इससे देवता लोग रुष्ट होकर पानी नहीं बरसाते हैं। इस पर शांतनु ने देवापि को सिंहासन पर बैठाया। देवापि ने शांतनु से कहा कि तुम यज्ञ करो, हम तुम्हारे पुरोहित होंगे। देवापि ने यज्ञ कराया जिससे खू़ब पानी बरसा। (निरुक्त २ ।१०)। महाभारत के अनुसार देवापि, पुरुवंशी राजा प्रतीप के पुत्र थे। महाराज प्रतीप के तीन पुत्र थे—देवापि शांतनु और वाह्लीक। इनमें देवापि अत्यंत धर्मात्मा थे। इन्होंने तपोबल से ब्राह्मणत्व लाभ किया। थे वाल्यावस्था से ही संसारत्यागी हो गए थे। ये अब तक सुमेरु पर्वत पर कलापग्राम में योगी के रूप में हैं। कलियुग समाप्त होने पर सत्ययुग में ये चंद्रवंश स्थापित करेंगे। -
एक पौराणिक ऋषि
उदाहरण
. देवापि का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है।
देवापि के तुकांत शब्द
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