धैवत

धैवत के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

धैवत के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • संगीत के सात स्वरों में से छठा स्वर जो मध्यम के आगे खींचा जाता है

    विशेष
    . नारदीय शिक्षा के अनुसार घोड़े के हिनहिनाने के समान जो स्वर निकले वह धैवत है। तानसेन ने इस स्वर को मेढ़क के स्वर के समान कहा है। संगीतदामोदर के मत से जो स्वर नाभि के नीचे जाकर बस्ति स्थान से फिर ऊपर दौड़ता हुआ कंठ तक पहुँचे वह धैवत है। संगीतदर्पण के मत से यह स्वर ऋषिकुल में उत्पन्न और क्षत्रिय वर्ण का है। इसका वर्ण पीत, जन्मस्थान श्वेतद्वीप, ऋषि तुंबरु, देवता गणेश और छंद उष्णिक् (मतांतर से जगती) माना गया है। यह षाड़व जाति का स्वर माना गया है। इसकी 720 तानें मानी गई हैं जिनमें प्रत्येक के 48 भेद होने से सब 34,560 तानें हुईं। श्रुतियाँ इसकी तीन हैं—रम्या, रोहिणी और मदंती।

धैवत के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • संगीत के सात स्वरों में से छठा स्वर

Noun, Masculine

  • sixth note.in Indian gamut.

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