dhrupad meaning in bundeli
धुरपद के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- गायन की एक शैली, ज़ोर-ज़ोर से और बेसुरे ढंग से गाने की क्रिया (व्यंग्यार्थ)
धुरपद के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Masculine
- a form of classical Indian music
धुरपद के हिंदी अर्थ
ध्रुपद
संज्ञा, पुल्लिंग
-
(संगीत) राग-रागिनियाँ गाने की एक विशिष्ट शैली या प्रकार जिसमें लय और स्वर बिलकुल बँधे हुए होते हैं और जिसमें नियत रूप से कुछ भी विचलन नहीं हो सकता, एक प्रकार का राग, ध्रुवपद
विशेष
. ध्रुपद भारत की समृद्ध गायन शैली है। ऐसा माना जाता है कि इसका प्रचलन ई० 15 वीं शती के अंत में ग्वालियर के राजा मान तोमर ने किया था। इसके द्वारा देवताओं की लीला, राजाओं के यज्ञ तथा युद्धादि का वर्णन गूढ़ राग-रागिनियों से युक्त गाया जाता है। इसके गाने कि लिए स्त्रियों के कोमल स्वर की आवश्यकता नहीं। इसमें यद्यपि द्रुतलय ही उपकारी है, तथापि यह विस्तृत स्वर से तथा विलंबित लय से गाने पर भी भला मालूम होता है। किसी- किसी ध्रुपद में अस्थायी और अंतरा दो ही पद होते हैं। ध्रुपद कानड़ा, ध्रुपद केदार, ध्रुपद एमन आदि इसके भेद हैं। इस राग को संकृत में ध्रुवक कहते हैं। जयंत, शेखर, उत्साह, मधुर, निर्मल, कुंतल, कमल, सानंद, चंद्रशेखर, सुखद, कुमुद, जायी, कदर्प, जय- मंगल ,तिलक और ललित। इनमें से जयंत के पाद में ग्यारह अक्षर होते हैं फिर आगे प्रत्येक में पहले से एक एक अक्षर अधिक होता जाता है; इस प्रकार ललित में सब 26 अक्षर होते हैं। छह पदों का ध्रुपद उत्तम, पाँच का मध्यम और चार का अधम होता है।
धुरपद के मैथिली अर्थ
ध्रुपद
संज्ञा, पुल्लिंग
- शास्त्रीय संगीत की एक शैली
Noun, Masculine
- an early form of classical music
ध्रुपद के तुकांत शब्द
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