duushiivish meaning in hindi

दूषीविष

  • स्रोत - संस्कृत

दूषीविष के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सुश्रुत के अनुसार शरीर में रहने वाला एक प्रकार का विष जो धातु को दूषित करता है और जिसे हीन विष भी कहते हैं

    विशेष
    . यदि किसी प्रकार का स्थावर, जंगम या कृत्रिम विष शरीर में प्रविष्ट हो जाने के उपरांत पूरा -पूरा बाहर नहीं निकलता, उसका कुछ अंश शरीर में रहकर जार्ण हो जाता है अथवा विषनाशक औषधों से दबाने या नष्ट करने पर भी पूर्ण रूप से नष्ट नहीं होता, तब वह कफ़ से आच्छादित होकर दूषीविष कहलाता और बरसों तक शरीर में व्याप्त रहता है। जिसके शरीर में यह विष रहता है उसका रंग पीला पड़ जाता है, मल का रंग बदल जाता है, मुँह में दुर्गंधि और विरसता होती है, प्यास लगती है, मूर्च्छा और कै होती है और दूष्योदर के से लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जब यह विष पक्वाशय में रहता है तब मनुष्य के सिर और शरीर के बाल झड़ जाते हैं। जब इसका कोप होने लगता है तब जँभाई आती है, अंग टूटते हैं, रोएँ खडे़ हो जाते हैं, शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं, हाथ पैर सूज जाते हैं तथा इसी प्रकार के और उपद्रव होते हैं।

दूषीविष के तुकांत शब्द

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