ग:

ग: के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ग: के अंगिका अर्थ

  • हैय अंगिका वर्णमाला में स्पर्श व्यंजन रों अंर्तगत कवर्ग रॉ तीसरा वर्ण छेकय। हेकरों उच्चारण स्थान कंठ छै

ग: के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun

  • the third consonant and the third member of the first pentad (i.e.कवर्ग) of the Devna:gri: alphabet
  • a Sanskirt suffix denoting a mover (as खग)

ग: के हिंदी अर्थ

संज्ञा

  • व्यंजन के ? में कवर्ग का तीसरा वर्ण, इसका उच्चारणस्थान कंठ है और शिक्षा में यह 'क' का गंभीर संस्पृष्ट रूप माना गया है, इसका प्रयत्न अघोष अल्पप्राण है

    उदाहरण
    . ग का उच्चारण भी कंठ से ही होता है।


संज्ञा, पुल्लिंग

  • गीत
  • गंधर्व
  • गानेवाला , जैसे,—सामग
  • संगीत के सात स्वरों में से एक स्वर
  • गुरुमात्रा
  • जानेवाला , पहुँचानेवाला , जैसे,—अध्वग, कठग

    विशेष
    . इस अर्थ में यह समस्त शब्दों के अंत में आता है ।

  • गणेश

ग: के यौगिक शब्द

संपूर्ण देखिए

ग: के कन्नौजी अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला के 'क' वर्ग का तीसरा वर्ण. इसका उच्चारण-स्थान कंठ है

ग: के कुमाउँनी अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का तीसरा व्यंजन; उच्चारण कोमल; तालव्य स्पर्श, संघोष अल्पप्राण

क्रिया

  • अब तू ग'-अब तुम जावो

ग: के गढ़वाली अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का तीसरा व्यंजन वर्ण
  • the third consonant of the Devanagari alphabet.

ग: के बुंदेली अर्थ

  • हिन्दी वर्णमाला देवनागरी लिपि के क वर्ग का तृतीय व्यंजन वर्ण इसका उच्चारण स्थान कण्ठ्य है

ग: के ब्रज अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला में क वर्ग का तीसरा व्यंजन

पुल्लिंग

  • गीत ; गंधर्व ; गुरु ; गणेश

विशेषण

  • गाने वाला; जाने वाला

ग: के मैथिली अर्थ

  • वर्णमालाक तेसर व्यञ्जन

संज्ञा

  • गान्धार, सङ्गीतक तेसर स्वर
  • third consonant of alphabet.

Noun

  • third note in gamut.

ग: के मालवी अर्थ

  • मालवी एवं देवनागरी वर्णमाला का वर्ण।

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