gaalav meaning in braj
गालव के ब्रज अर्थ
पुल्लिंग
- एक प्राचीन ऋषि का नाम जो विश्वामित्र के शिष्य थे
गालव के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
-
एक ऋषि का नाम
विशेष
. महाभारत के अनुसार ये विश्वामित्र जी के अंतेवासी थे । विद्या समाप्त कर समावर्तन के समय इन्होंने अपने गुरु विश्वामित्र जी ने इनके हठ से चिढ़कर आठ सौ श्यामकर्ण घोड़े माँगे । गालव जी ने राजा ययाति के पास जाकर उनसे आठ सौ श्यामकर्ण घोड़ों के लिये याचना की; पर ययाति के यहाँ भी आठ सौ श्यामकर्ण घोड़ें नहीं थे; अतः ययाति ने उन्हें अपनी कन्या, जिसका नाम माधवी था, देकर कहा— गालव जी, आप इस कन्या को ले जाइए; और जो दो सौ श्यामकर्ण घोड़े दे, उसे इससे एक पुत्र उत्पन्न कर लेने दीजिए । इस प्रकार आप आठ सौ श्यामकर्ण घोड़े लेकर अपने गुरु को गुरुदक्षिण दे दीजिए । गालव जी माधवी को लेकर हर्य्यशव राजा के पास गए; और हर्य्यशव ने दो सौ श्याम कर्ण घोड़े देकर उससे एक संतान उत्पन्न की । इसी तरह वे उसे दिवोदास और उशीनर के पास ले गए; और उन लोगों ने भी दो दो सौ घोड़े देकर उस कन्या से एक एक पुत्र उत्पन्न किया । अब गालव जी को कोई राजा ऐसा न मिला जो उन्हें शेष दो सौ घोड़े देकर माधवी से एक और पुत्र उत्पन्न करता । अंत को गलाव जी छह सौ घोड़े और माधवी को लेकर विश्वामित्र जी के आश्रम पर लौट गए और उन्होंने उनसे सब हाल कहा । विश्वामित्र जी ने उन छह सौ घोड़ों को ले लिया और उस कन्या से एक पुत्र उत्पन्न कर गालव जी को गुरुदक्षिणा के ऋण से मुक्त किया । हरिवंश में इन्हें विश्वा- मित्र जी का पुत्र लिखा है । - एक प्रसिद्ध वैयाकरण जिनका मत पाणिनि ने अष्टाध्यायी में उद्धृत् किया है
- लोध का पेड़ , श्वेत लोध्र
- तेंदु का पेड़
- एक स्मृतिकार
गालव के यौगिक शब्द
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