gagnaanang meaning in hindi

गगनानंग

  • स्रोत - संस्कृत

गगनानंग के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पचीस मात्राओं का एक मात्रिक छंद

    विशेष
    . इसके प्रत्येक चरण में सोलहवीं मात्रा पर विश्राम होता है और आरंभ में रगण होता है। इस छंद में विशेषता यह है कि प्रत्येकचरण में पाँच गुरु और पंद्रह लघु होते हैं। किसी-किसी के मत से बारह मात्राओं के बाद भी यति होती है। जैसे—माधव परम वेद निधि देवक, असूर हरंत तू। पावन धरम सेतु कर पूरण, सजन गहंत तू। दानव हरण हरि सुजग संतन, काज करंत तू। देखहु कस न नीति कर मोहि कहँ, मान धरंत तू।

गगनानंग के तुकांत शब्द

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