गठना

गठना के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

गठना के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • आभूषण, जोड़ना, बनावट

गठना के हिंदी अर्थ

अकर्मक क्रिया

  • दो वस्तुओं का परस्पर मिलकर एक होना , जुड़ना , सटना , जैसे,— ये दोनों पेड़ आपस में खूब गठ गए हैं
  • मोटी सिलाई होना , बड़े—बड़े टाँके लगन , जैसे,— जूता गठना
  • बुनावट का दृढ़ होना

    विशेष
    . इसमें पहले जिस स्थान पर सुई गड़ाकर आने की ओर निकालते हैं फिर उसी स्थान के पास ही उलटकर सुई गड़ाते और निकलने के पहलेवाले स्थान से कुछ और आगे बढ़ाकर निकालते हैं और इसी प्रकार बराबर सीते हुए चले जाते हैं । इसमें ऊपर की सिलाई एकहारी और नीचे की दोहरी होती हैं । दौड़ की बखिया में और इसमें केवल यही भेद है कि दौड़ की बखिया में केवल आधी दूर तक लौटकर सूई ड़ाली जाती है ।

  • किसी पट्चक्र या गुप्य विचार में सहमत या संमिलित होना , जैसे,— अगर वह किसी तरह गठ जाय तो सब काम बन जाय
  • अच्छी तरह निर्मित होना , भली भाँति रचा जाना , टीक टीक बताना

    उदाहरण
    . अंग अंग बनी मानो लिखी चित्र घनी गठी, निज मन मनी आजु बऐं भूप काम को ।

  • स्त्री पुरुष या नर मादा के संयोग होना , विषय होना
  • अधिक मेल मिलाप होना , जैसे,— आजकल उन लोगों में खूब गटती हैं , संयो॰ क्रि॰— जाना , —पड़ना

गठना के बुंदेली अर्थ

अकर्मक क्रिया

  • मिलना, सटना, एक जगह होना

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