गोसाई

गोसाई के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • अथवा - गोसाँई, गोसैयाँ

गोसाई के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • दे० 'गुसाईं'

    उदाहरण
    . ज्यों तुलसी अरु सूर गोसाँई ।

गोसाई के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • गौओं का स्वामी या अधिकारी
  • स्वर्ग का मालिक, ईश्वर
  • उत्तर भारत की एक जाति जो गृहस्थ होने पर भी प्रायः गेरुए वस्त्र पहनती है (कदाचित् ऐसे त्यागियों के वंशज जो फिर गृहस्थ आश्रम में आ गए थे)
  • संन्यासियों का एक संप्रदाय जिसके दस भेद होते हैं और जिसे दशनाम भी कहते हैं

    विशेष
    . गिरि, पुरी, भारती, सरस्वती, तीर्थ,आश्रम, अरण्य, वन, पर्वत, सागर संन्यासियों के इसी संप्रदाय के अंतर्गत हैं।

  • साधु-संन्यासियों और त्यागियों के लिए संबोधन
  • विरक्त साधु, अतीत
  • वह जिसने इंद्रियों को जीत लिया हो, जितेंद्रिय
  • मालिक, प्रभु, स्वामी

विशेषण

  • श्रेष्ठ, बड़ा

गोसाई के पर्यायवाची शब्द

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गोसाई के अवधी अर्थ

स्त्रीलिंग

  • गोसांइनि

गोसाई के मालवी अर्थ

विशेषण

  • गुसाईजाति का साधु, गोस्वामी।

गोसाई के तुकांत शब्द

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