gunaaDhya meaning in hindi
गुणाढ्य के हिंदी अर्थ
विशेषण
- गुणपुर्ण, बहुत गुणों वाला
- सद्गुणशाली
- गुणयुक्त
संज्ञा, पुल्लिंग
-
एक प्रसिद्ध कवि
विशेष
. इसने पैशाची भाषा में वह बड़ा ग्रंथ लिखा था जिसके आधार पर पीछे से क्षेमेंद्र ने वृहत्कथामंजरी और सोमदेव ने कथासरित्सागर नाम की पुस्तकें लिखीं। कथासरित्सागर में गुणाढ्य की कथा इस प्रकार लिखा है। प्रतिष्ठानपुर में सोमशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था, जिसे श्रुतार्थ नाम की एक परम सुंदरी कन्या थी। इस कन्या के साथ नागराज बासुकि के छोटे भाई कीर्ति ने गांधर्व विवाह किया। इसी कन्या के गर्भ से गुणाढ्य का जन्म हुआ। गुणाढ्य के बचपन ही में उसका पिता मर गया। गुणाढ्य ने दक्षिणापथ में जाकर खूब अध्ययन किया और वह बड़ा प्रसिद्ध विद्वान् होकर प्रतिष्ठान देश के राजा सातवाहन की सभा में रहने लगा। राजा संस्कृत नहीं जानता था, मूर्ख था। एक दिन वह अपनी रानी के व्यवहार से अपनी मूर्खता पर बड़ा लज्जित हुआ और उसने संस्कृत सीखने का विचार किया। गुणाढ्य ने उसे छह वर्षों में व्याकरण सिखा देने का वादा किया। शर्व शर्मा नामक एक पंडित ने छह महीने में ही राजा को व्याकरण सिखा देने को कहा। इस पर गुणाढ्य ने चिढ़कर कहा 'यदि तुम राजा को छह महीने में व्याकरण सिखा दोगे तो मैं संस्कृत और प्राकृत आदि समस्त देशी भाषाओं का व्यवहार छोड़ दूँगा।' शर्वशर्मा ने कलाप व्याकरण का निर्माण करके छह महीने में राजा को व्याकरण सिखा दिया। इस पर अपमानित गुणाढ्य ने बस्ती का रहना छोड़ दिया और वह जंगल में जाकर पिशाचों के बीच रहने और उन्हीं की भाषा का व्यवहार करने लगा। वहाँ पर उससे काणभूति से साक्षात्कार हुआ जो कुवेर के शाप से पिशाच हो गया था। काणभूति के मुख से उसने पुष्पदंत का कहा हुआ सप्तकथामय उपाख्यान सुना और उसे लेकर सात लाख श्लोकों का, पिशाच भाषा का एक ग्रंथ लिखा। राजसभा में उपस्थित होने पर, ग्रंथ की भाषा पैशाची होने से लोगों ने पुनः उसकी उपेक्षा की। दुःखी गुणाढ्य वन में पशुपक्षियों को यह ग्रंथ सुनाने और प्रत्येक पृष्ठ को अग्नि में जलाने लगा। कालांतर में राजा ने अपनी भूल का परिमार्जन किया पर ग्रंथ का एक अंश ही बचा पाए जिसके आधार पर सोम-देव और क्षेमेंद्र ने अपने अपने ग्रंथ लिखे।
गुणाढ्य के अँग्रेज़ी अर्थ
Adjective
- gifted, of many gifts, possessing many virtues
गुणाढ्य के तुकांत शब्द
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